जहां एक तरफ देश 75वां गणतंत्र दिवस मना रहा है तो दूसरी तरफ बिहार में अलग ही सियासी परेड चलती हुई दिख रही है. आने वाले घंटों/दिनों में राज्य से चौंकाने वाली खबर आ सकती है. जेडीयू और आरेजडी गठबंधन में आई दरार अब चौड़ी हो गई है और नीतीश कुमार एक बार फिर पलटी मारने की तैयारी में दिख रहे हैं. कहा जा रहा है कि बीजेपी और नीतीश कुमार में डील फाइनल हो चुकी है.
बीजेपी नीतीश को दोबारा गले लगाने की तैयारी में दिख रही है. आज तक से बात करते हुए एक जेडीयू नेता ने बताया कि पीएम मोदी की बिहार के बेतिया में होने वाली रैली से पहले नीतीश कुमार बीजेपी के साथ सरकार बना लेंगे. बिहार बीजेपी के विधायक नितिन नवीन ने कहा, 'हमारे गठबंधन में जो आएगा इनका स्वागत होगा. दरवाजा बंद और खुला रहना राजनीति में कोई बात नहीं होती है. पार्टी का हाईकमान इस मामले में निर्णय लेगा. अब तो नीतीश कुमार को स्पष्ट करना है कि उनका क्या निर्णय है. प्रधानमंत्री की 4 फरवरी को सभा पूर्व निर्धारित है जो होकर रहेगी. रही बात नीतीश कुमार की तो, वह उसमें शामिल होंगे या नहीं ये समय बताएगा.'
दरअसल 30 जनवरी को बिहार के कटिहार में बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा की रैली होनी है और उसके बाद 4 फरवरी को प्रधानमंत्री मोदी की बेतिया में एक बड़ी रैली होनी है. कहा जा रहा है कि पीएम मोदी की रैली से पहले नीतीश कुमार एक बार फिर बीजेपी के साथ हाथ मिलाकर सरकार बना सकते हैं और खुद बेतिया में पीएम मोदी की रैली के दौरान मंच पर मौजूद रह सकते हैं.
तो ऐसा होगा नया फॉर्मूला
राजनीतिक गलियारों में कई तरह की चर्चाएं चल रही हैं. एक चर्चा में कहा जा रहा है कि शायद विधानसभा भंग कर दी जाए, लेकिन इस बात की भी संभावना जताई जा रही है कि नीतीश को दोबारा मुख्यमंत्री बनाने के लिए बीजेपी राजी हो जाए. बीजेपी सूत्रों से ऐसी संभावना की खबर आ रही है कि नीतीश को ही बागडोर दी जा सकती है और सुशील मोदी को उनका डेप्युटी बनाया जा सकता है. लोकसभा चुनाव तक नीतीश सीएम रह सकते हैं और लोकसभा के साथ बिहार में विधानसभा चुनाव कराया जा सकता है. अमित शाह खुद बीजेपी के तरफ से पूरे अभियान में लगे हैं.
तो इसलिए नाराज हैं नीतीश
आपको बता दें कि महागठबंधन में शामिल होने के एक साल बाद ही नीतीश कुमार विपक्षी एकता में जुट गए थे. उन्होंने ही विपक्षी की 28 पार्टियों को एकजुट किया और इंडिया ब्लॉक के एक मंच पर लाए थे. नीतीश ने जून 2023 में पटना में पहली बैठक की थी. हालांकि, जब गठबंधन में चेयरमैन की बात आई तो ये जिम्मेदारी कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को सौंप दी गई. नीतीश को संयोजक बनाए जाने की खबरें थीं. हालांकि, नीतीश शुरू से कहते आ रहे थे कि वे ना पीएम मैटेरियल हैं और ना कोई पद लेना चाहते हैं. नीतीश की नाराजगी की एक अन्य वजह यह भी बताई जा रही है कि राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा 30 जनवरी को बिहार में एंट्री कर रही है, लेकिन कांग्रेस ने नीतीश को न्योता दिया.