बिहार में पुल गिरने का सिलसिला जारी है. लगातार पुल गिरने की घटना सामने आने के बाद 15 इंजीनियर को सस्पेंड भी कर दिया गया है. नीतीश कुमार की अगुवाई वाली राज्य सरकार ने नए पुलों के पुनर्निर्माण का भी आदेश दिया है. मगर, इसी बीच रविवार को आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने सोशल मीडिया पर बिहार सरकार से कई सवाल किए हैं.
दरअसल, RJD नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने सोशल मीडिया X पर लिखा है कि बिहार में आज फिर एक पुल का गिरना तथा बीते 𝟏𝟗 दिन में कुल 𝟏𝟑 पुलों का पानी में बह जाना नीतीश सरकार में फैले संस्थागत भ्रष्टाचार का प्रत्यक्ष दृष्टांत है. हम मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को चुनौती देते है कि वो बिहारवासियों को बताएं कि गिरने वाले पुलों की स्वीकृति कब हुई और किसने दी?
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गिरने वाले पुलों का शिलान्यास कब और किसने किया?
गिरने वाले पुलों का टेंडर कब, किसके कार्यकाल में हुआ? गिरने वाले पुलों का शिलान्यास कब और किसने किया? गिरने वाले पुलों का उद्घाटन कब और किसने किया? महज 𝟏𝟗 दिन में 𝟏𝟑 पुलों के गिरने से जनता की कुल कितनी गाढ़ी कमाई पानी में बह गयी? अगर मुख्यमंत्री जी इन आंकड़ों को सार्वजनिक नहीं करते हैं, तो स्पष्ट है कि 𝟏𝟖 वर्षों से बिहार में सत्ता पर काबिज NDA के नेता ऊपर से लेकर नीचे तक इस भ्रष्टाचारी व्यवस्था के संपोषक, संरक्षक, प्रायोजक और साझेदार हैं.
विभिन्न पदों के 15 इंजीनियरों को किया सस्पेंड
बता दें कि दो दिन पहले बिहार के राज्य जल संसाधन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव चैतन्य प्रसाद ने मीडिया से बात करते हुए कहा था कि नौ पुलों के क्षतिग्रस्त होने की सूचना मिली है. इनमें से छह बहुत पुराने हैं. तीन अन्य निर्माणाधीन हैं. प्रथम दृष्टया ऐसा लगता है कि इंजीनियर और ठेकेदार इसमें शामिल हैं. उन्होंने कहा कि उड़नदस्ता टीम ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है. इंजीनियर इसे लेकर न तो सावधान थे और न ही निगरानी कर रहे थे. इस मामले में विभिन्न पदों के 15 इंजीनियरों को सस्पेंड कर दिया गया है.