चुनाव रणनीतिकार से सियासत के मैदान में आए प्रशांत किशोर (पीके) अब अपनी पार्टी लॉन्च करने को तैयार हैं. पीके पिछले दो साल से जन सुराज पदयात्रा पर हैं और अब राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती पर 2 अक्टूबर को जन सुराज पार्टी की सियासत में एंट्री का औपचारिक ऐलान करने वाले हैं. नीतीश कुमार की अगुवाई वाली जनता दल (यूनाइटेड) के जरिये बतौर उपाध्यक्ष छोटी ही सही, सियासी पारी खेल चुके पीके का अपनी पार्टी की सियासी लॉन्चिंग को लेकर प्लान क्या है?
1- अलग तरह की पार्टी का संदेश
पीके ने जब से जन सुराज को सियासी पार्टी बनाने का ऐलान किया है, वह लगातार ये संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं कि यह दल सभी पार्टियों से अलग होगा. पीके इसके लिए प्रबुद्ध वर्ग के लोगों को पार्टी से जोड़ रहे हैं, पूर्व नौकरशाह से लेकर समाजसेवी तक, समाज के प्रभावशाली लोगों को जन सुराज से जोड़ा गया और पार्टी का सदस्यता अभियान निरंतर चल भी रहा है.
2- राइट टू रिकॉल की बात
प्रशांत किशोर उम्मीदों पर खरा नहीं उतरने की स्थिति में जनप्रतिनिधियों को वापस बुलाने के अधिकार यानी राइट टू रिकॉल की भी बात कर रहे हैं. उन्होंने कहा है कि इसे लेकर टिकट देते समय ही उम्मीदवारों से सहमति का शपथ पत्र ले लिया जाएगा. राइट टू रिकॉल कैसे लागू करेंगे? पीके ने इसे लेकर भी जानकारी दी है. उन्होंने कहा है कि संबंधित विधानसभा क्षेत्र के एक तिहाई पार्टी कार्यकर्ता विधायक के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ला सकते हैं. अविश्वास प्रस्ताव वोटिंग के जरिये पारित हो जाता है तो संबंधित विधायक को सदस्यता से इस्तीफा देना होगा.
यह भी पढ़ें: साथ काम किया... JDU जॉइन की, फिर क्यों हो गए नीतीश के विरोधी? प्रशांत किशोर ने दिया ये जवाब
3- सभी पंचायतों के विकास का ब्लूप्रिंट
पीके ने कहा है कि हम फरवरी महीने में पटना के गांधी मैदान में सूबे के विकास के लिए ब्लूप्रिंट लेकर आएंगे. इसमें सभी 8500 पंचायतों के विकास का ब्लूप्रिंट होगा. उन्होंने जरूरत के मुताबिक विकास की कार्ययोजना बनाने की बात कही है. पीके ने ये भी कहा है कि हम ढाई साल की पदयात्रा में 60 फीसदी गांवों को ही कवर कर पाए हैं. हर गांव तक पहुंचना है, पदयात्रा जारी रहेगी. उन्होंने आगे कहा- बस समस्याएं नहीं गिनाएंगे, उसे दूर करने के लिए समाधान भी बताएंगे.
यह भी पढ़ें: बिहार में नीतीश का विकल्प कौन? जवाब बनने के लिए पीके और तेजस्वी यादव में खुली जंग
4- शराबबंदी खत्म करने की बात
पीके ने सत्ता में आने पर पहले एक घंटे, अब 15 मिनट में शराबबंदी खत्म करने की बात कही है. उनका कहना है कि शराबबंदी हटाने से जो राजस्व की आय होगी, उसे बच्चों की बेहतर शिक्षा के लिए खर्च किया जाएगा. पीके ने ये भी कहा है कि कुछ लोगों ने कहा कि शराबबंदी हटाने की बात करोगे तो महिलाएं वोट नहीं करेंगी. शराबबंदी लागू है तो बस दुकानें बंद हैं. शराब घर-घर पहुंच ही रही है. उन्होंने कहा कि महिलाएं वोट नहीं देना हो तो ना दें, लेकिन हम गलत बात नहीं कहेंगे.