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लालू से मिले स्पीकर, शिवानंद से नीतीश... नए साल में हाई रहने वाला है बिहार की सियासी टेम्प्रेचर

बिहार में सियासी माहौल में गरमाहट के बीच बड़े नेताओं में मेल-मुलाकात का दौर चल रहा है. रविवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी से अस्पताल में जाकर मुलाकात की है. उसी दिन बिहार विधानसभा के अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी ने राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव से राबड़ी आवास पर मुलाकात की.

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लालू यादव राजद के अध्यक्ष हैं और नीतीश कुमार ने हाल ही में जदयू की कमान संभाली है.
लालू यादव राजद के अध्यक्ष हैं और नीतीश कुमार ने हाल ही में जदयू की कमान संभाली है.

बिहार में कड़ाके की ठंड के बीच राजनीति गरम है. रविवार को विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी ने राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद से मुलाकात की. वे पूर्व सीएम राबड़ी देवी के आधिकारिक आवास पर पार्टी सुप्रीमो लालू यादव से मिले. लालू के बड़े बेटे और मंत्री तेज प्रताप यादव भी स्पीकर के साथ पहुंचे थे. तेज प्रताप पटना में अलग घर में रहते हैं. यह मुलाकात ऐसे समय हुई है, जब राज्य में बड़ा राजनीतिक मंथन चल रहा है. चौधरी खुद राजद नेता हैं.

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लालू यादव से मुलाकात के बाद चौधरी ने पत्रकारों से बातचीत में कहा, मैं नए साल की पूर्व संध्या पर शुभकामनाएं देने के लिए लालू जी से मिला था. इसमें कुछ भी राजनीतिक नहीं है. दरअसल, राजनीतिक चर्चाएं इसलिए हुईं, क्योंकि यह घटनाक्रम नीतीश के करीबी राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद छोड़ने के बाद सामने आया है. शुक्रवार को जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की दिल्ली में आयोजित बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जद (यू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभाला है.

'ललन ने तेजस्वी को आगे बढ़ाने की खबरों को खारिज किया'

ऐसी अटकलें थीं कि ललन, लालू प्रसाद के बहुत करीब आ गए थे, जिसकी वजह से जदयू नेता नीतीश कुमार असहज हो गए थे. हालांकि, जदयू ने इस तरह की अटकलों को खारिज किया है. बैठक से पहले नीतीश कुमार, ललन के घर गए थे. बाद में वो ललन को अपने साथ कार में बैठाकर बैठक में ले गए थे. शुक्रवार रात जब नीतीश दिल्ली से पटना लौटे तो जद (यू) कैडर ने उनका जोरदार स्वागत किया था.

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'मीडिया रिपोर्ट्स पर भड़के ललन सिंह'

वहीं, ललन ने मीडिया को मानहानि का केस करने की भी धमकी दी. ललन ने ने नीतीश को पद से हटाने की साजिश रचने के लिए राजद के इशारे पर जदयू विधायकों की बैठक किए जाने की खबरों को खारिज किया था. तमाम रिपोर्टों में दावा किया गया था कि कथित योजना का उद्देश्य राजद सुप्रीमो के छोटे बेटे और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव को आगे बढ़ाना था.

'शिवानंद तिवारी से मिलने अस्पताल गए नीतीश'

दिलचस्प बात यह है कि नीतीश कुमार ने कई बार तेजस्वी को सीएम पद सौंपने का इरादा जाहिर किया है. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया था कि 2025 में अगले विधानसभा चुनाव में तेजस्वी के नेतृत्व में सत्तारूढ़ महागठबंधन चुनाव लड़ेगा. सियासी हलचल के बीच नीतीश कुमार अपने एक पुराने सहयोगी शिवानंद तिवारी से मिलने के लिए एक निजी अस्पताल में गए और उनका हालचाल लिया. सीएम ने तिवारी के जल्द ठीक होने की कामना की. बताते चलें कि नीतीश के बाद शिवानंद तिवारी, लालू यादव के करीबी हो गए थे और इस समय वो राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं.

'अफवाहों से गुमराह ना हों कार्यकर्ता'

वहीं, ललन दिल्ली से लौटने के बाद अपने लोकसभा क्षेत्र मुंगेर पहुंचे. वहां उन्होंने एक सार्वजनिक बैठक में कहा, बीजेपी समर्थित मीडिया की अफवाहों से गुमराह ना हों. उन्होंने दावा किया, नीतीश कुमार और लालू प्रसाद के बीच कोई अविश्वास नहीं है. लोकसभा चुनाव में महागठबंधन बीजेपी को करारी शिकस्त देने जा रहा है.

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'मैं लोकसभा चुनाव में व्यस्त रहूंगा'

ललन सिंह ने पद छोड़ने के बाद एक बयान में कहा, मेरी खुद की इच्छा थी कि लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी का पद छोड़ना चाहिए. क्योंकि चुनावी तैयारियो में व्यस्तता बढ़ जाएगी और पार्टी का कामकाज प्रभावित हो सकता है. ललन ने उन बातों को भी खारिज किया है कि नीतीश कुमार ने बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए के प्रति अपना रुख नरम कर लिया है.

ललन ने जद (यू) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में लाए गए उस राजनीतिक प्रस्ताव की ओर इशारा किया, जिसमें सांसदों के सामूहिक सस्पेंशन के लिए नरेंद्र मोदी सरकार की आलोचना की गई है. उन्होंने कहा, यह देश को संविधान की जगह मनुस्मृति के अनुसार चलाने की कोशिश है.

'एनडीए ने कहा, अब नीतीश की एंट्री नहीं'

इस बीच, बिहार में मौजूदा घटनाक्रम को लेकर एनडीए खेमे के नेताओं ने भी बयान दिया है. बीजेपी के सहयोगी उपेन्द्र कुशवाह और जीतनराम मांझी ने दावा किया था कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अपने कट्टर प्रतिद्वंद्वी लालू प्रसाद से हाथ मिलाने का 'पछतावा' हो रहा है. मांझी ने दावा किया कि नीतीश कुमार 'कई BJP नेताओं के संपर्क में हैं' और वापसी कर सकते हैं. जबकि कुशवाहा का मानना ​​​​है कि अगर जद (यू) सुप्रीमो नीतीश कुमार एनडीए में वापसी की इच्छा रखते हैं तो भी उन्हें दोबारा प्रवेश नहीं मिलेगा. उन्हें एक खत्म हो चुकी ताकत के रूप में देखा जा रहा है.

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उपेंद्र ने एक साल पहले जदूय का साथ छोड़ दिया था. जबकि मांझी ने कुछ महीने पहले ही महागठबंधन से दूरी बनाई है. मांझी का कहना था कि नीतीश कुमार उन पर दबाव बना रहे थे कि वो अपनी पार्टी हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा का जद (यू) में विलय करें. नीतीश कुमार के दबाव में आने की बजाय उन्होंने एनडीए जॉइन कर लिया. 

'महागठबंधन सरकार कभी भी गिर सकती है'

इधर, बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह का मानना है कि महागठबंधन सरकार में अंदरखाने खींचतान चल रही है. यह सरकार किसी भी समय गिर सकती है. हालांकि, बीजेपी अब नीतीश कुमार की पार्टी के साथ आगे गठबंधन नहीं करेगी. उन्होंने दावा किया कि राज्य में जब भी विधानसभा चुनाव होंगे, बीजेपी अब अपने दम पर बहुमत हासिल करने की स्थिति में है.

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