पूर्व आईएएस और आईपीएस अधिकारियों का राजनीतिक दलों में शामिल होने का चलन काफी पुराना है. कई अधिकारी चुनाव जीतकर सत्ता के शीर्ष पदों पर काबिज हो चुके हैं. पर कुछ सालों पहले अधिकारियों का रुझान राजनीति की ओर कम हो गया था, लेकिन साल 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान ये चलन एक बार फिर से शुरू हो गया, जहां कई अधिकारियों ने चुनावी मैदान में हुंकार भरी. उम्मीद लगाई जा रही है कि साल 2024 के लोकसभा चुनाव में ये चलन बरकरार रह सकता है.
बताया जा रहा है कि असम के लखीमपुर जिले में तैनात पुलिस अधीक्षक आनंद मिश्रा ने इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने बताया कि वह सामाजिक कार्यों पर अपना फोकस करना चाहते हैं. उन्हें हाल ही में मणिपुर हिंसा की जांच के लिए विशेष जांच दल में नियुक्त किया गया था.
असम-मेघालय कैडर के ये आईपीएस अधिकारी को सोशल मीडिया सेंसेशन भी हैं. उन्हें लोग 'असम का सिंघम' बुलाते हैं. आनंद मिश्रा पैट्रोलर नाम का एक यूट्यूब चैनल भी चलाते हैं, जिसमें वह लोगों को बताते हैं कि कैसे उनकी टीम असम के विभिन्न इलाकों में गश्त करती है.
बक्सर से मैदान में उतर सकते हैं आनंद मिश्रा
कई लोगों का कहना है कि बिहार के आरा के रहने वाले आनंद बक्सर लोकसभा सीट से चुनावी मैदान में उतर सकते हैं. वर्तमान में केंद्रीय राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे बक्सर निर्वाचन क्षेत्र से सांसद हैं.
खबर है कि आनंद ने इलाके में अपनी मौजूदगी बढ़ा दी है. वह वहां छात्रों को मुफ्त कोचिंग भी दे रहे हैं. सोशल मीडिया पर उनकी जबरदस्त फैन फॉलोइंग उनके काम आएगी.
गुप्तेश्वर पांडेय भी आजमाना चाहते थे किस्मत
गौरतलब है कि 1987 बैच के बिहार कैडर के आईपीएस अफसर गुप्तेश्वर पांडेय ने 2009 में लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए वीआरएस लिया था. वे बीजेपी के टिकट पर बक्सर से चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन टिकट न मिलने पर उन्होंने वीआरएस वापस लेने की अर्जी दी थी. इसके बाद नीतीश सरकार ने गुप्तेश्वर पांडेय की अर्जी को स्वीकार करते हुए 9 महीने बाद उन्हें एक बार फिर सर्विस पर रख लिया और 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले उन्हें प्रमोशन देते हुए बिहार का डीजीपी बना दिया था.