पद्मश्री से सम्मानित हिंदी और मैथिली साहित्य की सुप्रसिद्ध लेखिका डॉ उषा किरण खान का निधन हो गया. वो पिछले कुछ दिनों से बीमार थीं. अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली. उनके लेखन में मिथिला का इतिहास, कला, संस्कृति और समाज का सौंदर्य भी दिखता था. उद्दाम प्रेम के साथ स्थानीयता उनके कथानक, कहानियों और उपन्यासों का मूल बोध रहे. 'पानी पर लकीर', 'फागुन के बाद', 'सीमांत कथा', 'रतनारे नयन', 'अंगन-हिंडोला', 'अनुत्तरित प्रश्न', 'हसीना मंजिल', 'भामती', 'सिरजनहार' के अलावा कहानी संग्रह 'गीली पॉक', 'कासवन', 'दूबजान', 'विवश विक्रमादित्य', 'जन्म अवधि', 'घर से घर तक', 'कॉचहि बॉस' नाटक 'कहाँ गए मेरे उगना', 'हीरा डोम', 'फागुन', 'एकसरि ठाढ़', 'मुसकौल बला'; बाल नाटक 'डैडी बदल गए हैं', 'नानी की कहानी', 'सात भाई और चंपा', 'चिड़िया चुग गई खेत', 'घंटी से बान्हल राजू', 'बिरड़ो आबिगेल' और बाल उपन्यास 'लड़ाकू जनमेजय' आदि से हिंदी और मैथिली साहित्य में अपनी अलग पहचान बना लेने वाली हमारे दौर की महत्त्वपूर्ण कथाकार उषाकिरण खान का आज तक, साहित्य आज तक से गहरा नाता था.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जताया शोक
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. उषा किरण खान के निधन पर गहरी शोक संवेदना व्यक्त की है.मुख्यमंत्री ने अपने शोक संदेश में कहा कि स्व. डॉ. उषा किरण खान प्रसिद्ध साहित्यकार एवं लेखिका थीं. उन्होंने हिन्दी एवं मैथिली साहित्य में कई उपन्यासों, कथाओं की रचना की थी. डॉ. उषा किरण खान को पद्मश्री तथा साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. डॉ. उषा किरण खान के निधन से हिन्दी एवं मैथिली साहित्य जगत को अपूरणीय क्षति हुयी है. मुख्यमंत्री ने दिवंगत आत्मा की चिर शांति तथा उनके परिजनों को दुख की इस घड़ी में धैर्य धारण करने की शक्ति प्रदान करने की ईश्वर से प्रार्थना की है.
उषाकिरण खान का जन्म 7 जुलाई, 1945 को बिहार के दरभंगा जिले के लहेरियासराय में हुआ. आपने हिंदी के साथ-साथ मातृभाषा मैथिली में भी बहुतेरा सृजन किया और उपन्यास, कहानी, नाटक, बाल कथा,संस्मरण, समीक्षा के क्षेत्र में अपनी प्रभावी छाप छोड़ी.
आप अपने सृजनकर्म के लिए देश के सर्वोच्च सम्मानों में शुमार 'पद्मश्री ', साहित्य अकादमी के अलावा बिहार सरकार के राजभाषा विभाग के हिंदी सेवी सम्मान और महादेवी वर्मा सम्मान; दिनकर राष्ट्रीय पुरस्कार, कुसुमांजली पुरस्कार, विद्या निवास मिश्र पुरस्कार आदि से सम्मानित हैं. आपको उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े साहित्यिक सम्मान भारत भारती से भी नवाजा जा चुका है. कभी यात्री नागार्जुन और यायावर अज्ञेय को स्मरण करते हुए आपने लिखा था कि 'मात्र साथ चलने, रहने और अनुभूतियों के स्फुलिंग से अपने आपको समृद्ध करने का लाभ अद्वितीय है.'
पद्मश्री से सम्मानित हिंदी और मैथिली साहित्य की इस सुप्रसिद्ध लेखिका डॉ उषाकिरण खान को श्रद्धांजलि.