बजट में खास: स्वतंत्र भारत का पहला बजट होने के चलते यह बजट अपने आप में खास था. इसमें साढ़े 7 महीनों, 15 अगस्त 1947 से 31 मार्च 1948 तक, को कवर किया गया था. यह बजट देश की अर्थव्यवस्था की समीक्षा के तौर पर था और इसमें कोई नए कर प्रस्तावित नहीं किए गए थे. कारण यह था कि वर्ष 1948-49 के बजट में केवल 95 दिन शेष थे. वित्त वर्ष में बचे बाकी समय के लिए नई दिल्ली को अधिकृत किया जा सकता था, लेकिन यह महसूस किया गया कि नए आजाद हुए देश के लिए पहला बजट जल्द से जल्द पेश किया जाना चाहिए.
बजट में खास: इस बजट में योजना आयोग बनाने के लिए रोडमैप तैयार किया गया था. इसके अलावा स्वतंत्रता के बाद उच्च मुद्रास्फीति, पूंजी की बढ़ी लागत, कम स्तर पर बचत, निवेश और उत्पादन का कम स्तर जैसी चीजों को भी चिह्नित किया गया था.
भारत को कैसे बदला: भारतीय विकास के मॉडल का श्रेय या दोष, जो भी कहा जाए, प्लानिंग कमीशन को जाता है.
बजट में खास: आयात के लिए लाइसेंस जरूरी कर दिया गया. नॉन-कोर प्रोजेक्ट्स के लिए बजट का आवंटन (बजटरी एलोकेशन) वापस ले लिया गया. निर्यातकों को सुरक्षा देने के नजरिए से एक्सपोर्ट रिस्क इंश्योरेंस कार्पोरेशन के गठन का फैसला. वेल्थ टैक्स लगाया गया. एक्साइज को 400 प्रतिशत तक बढ़ा दिया गया. ऐक्टिव इन्कम (सेलरी और बिजनेस) और पैसिव इन्कम (ब्याज और भाड़ा) में फर्क करने की प्रथम कोशिश हुई. आयकर को बढ़ा दिया गया.
भारत को कैसे बदला: आयात पर बंदिशें और कर की ऊंची दरों के चलते कई चीजें गड़बड़ा गईं. बाहरी कर्ज लेना मुश्किल हो गया.
बजट के फैसले: सामान्य बीमा कंपनियों, भारतीय कॉपर कॉर्पोरेशन और कोल माइन्स के राष्ट्रीयकरण के लिए 56 करोड़ रुपए मुहैया कराए गए. 1973-73 के लिए बजट में अनुमानित घाटा 550 करोड़ रुपए का था.
भारत को कैसे बदला: कहा जाता रहा है कि कोयले की खदानों के राष्ट्रीयकरण किए जाने से लंबी अवधि के नजरिए से बुरा प्रभाव पड़ा. कोयले पर पूरा अधिकार सरकार का हो गया और इससे बाजार में कंपीटिशन के लिए कोई जगह नहीं बची. इसके अलावा उत्पादन और इसकी नई तकनीक के लिए भी ज्यादा जगह नहीं बन सकी. भारत पिछले 40 सालों से कोयला आयात कर रहा है.
बजट के फैसले: माल की अंतिम कीमत पर करों के व्यापक प्रभाव को कम करने के नजरिए से MODVAT क्रेडिट लाया गया. इसमें कच्चे माल पर किए गए कर भुगतान की राशि को अंतिम उत्पाद पर कर से हटा दिया गया. उत्पादों की क्षतिपूर्ति के लिए यह योजना लागू की गई.
भारत पर असर: अप्रत्यक्ष करों के संदर्भ में सुधार को लेकर यह एक बड़ा कदम था. 2004 में सेवा शुल्क और आबकारी के बीच पहली बार क्रॉस क्रेडिट लागू करने से भारतीय इंडस्ट्री को काफी बल मिला.
बजट के फैसले: आयात-निर्यात पॉलिसी में काफी सुधार किया गया. आयात के लिए लाइसेंस की प्रक्रिया को आसान बनाया गया. अधिक से अधिक निर्यात करने और आयात को जरूरत के हिसाब से रखने पर योजना बनी, ताकि भारत को विदेशों से कंपीटिशन मिले. सीमा शुल्क 220 प्रतिशत से घटाकर 150 प्रतिशत कर दिया गया, जो एक बड़ा बदलाव था.
भारत पर असर: भारत आज दुनिया में सबसे तेज आगे बढ़ने वाले देशों में दूसरे स्थान पर है.
बजट के फैसले: न्यूनतम निगम कर के संबंध में एक अहम फैसला लिया गया. न्यूनतम निगम कर, जिसे आज एम.ए.टी (MAT) या मिनिमम अल्टर्नेट टैक्स (Minimum Alternate Tax) के नाम से जाना जाता है, को लाया गया. इसका मुख्य उद्देश्य उन कंपनियां को टैक्स की सीमा में लाना था जो भारी मुनाफा कमाती थीं और टैक्स देने से बचती थीं.
भारत पर असर: इससे 75 करोड़ रुपए का संग्रह करने की योजना थी, लेकिन यह आज सरकार की आय का एक बड़ा जरिया बन चुका है.
बजट में खास: लोगों और कंपनियों के लिए अब तक चल रहे टैक्स में बदलाव किया गया. कंपनियों को पहले से भुगते गए एम.ए.टी को आने वाले सालों में कर देनदारियों में समायोजित करने की छूट दे दी गई. वोलेंटरी डिस्कलोजर ऑफ इन्कम स्कीम (VDIS) स्कीम लांच की गई ताकि काले धन को बाहर लाया जा सके.
भारत पर असर: लोगों ने खुद से ही अपनी आय का खुलासा करना शुरू कर दिया. 1997-98 के दौरान पर्सनल इन्कम टैक्स से सरकार को 18 हजार सात सौ करोड़ रुपए मिले, जबकि अप्रैल 2010 से जनवरी 2011 के बीच यह आय एक लाख करोड़ से ऊपर पहुंच गई. लोगों के हाथों में पैसा आने से बाजार में मांग बढ़ी, जिससे औद्योगिक विकास को बल मिला.
बजट के फैसले: 1991 के बजट में मनमोहन सिंह ने सॉफ्टवेयर निर्यातकों को टैक्स मुक्त रखा था. यशवंत सिन्हा ने भी इसी क्रम को जारी रखा.
भारत पर असर: मनमोहन सिंह ने विश्व में भारत को एक सॉफ्टवेयर केंद्र के तौर पर विकसित करने के नजरिए से सॉफ्टवेयर निर्यातकों को छूट दी थी. इससे भारत की सॉफ्टवेयर इंडस्ट्री को जबरदस्त बूम मिला. भारत यदि सॉफ्टवेयर बाजार में एक बड़े खिलाड़ी के तौर पर जाना जाता है कि इसका श्रेय मनमोहन सिंह के साथ ही यशवंत सिन्हा को भी जाता है.