दिल्ली कैंट में तैयार होती फेयरी क्वीन.
कभी भारतीय ट्रैक की शान बढ़ाने वाला यह सबसे बड़ा स्टीम लोको इंजन है. इनमें से एक को हाल ही में SER खड़गपुर वर्कशॉप में ठीक किया गया था और इसे कभी-कभी रेलवे ट्रैक पर दौड़ाया भी जाता है.
यह रेलवे द्वारा इस्तेमाल किया गया सबसे छोटा भाप इंजन है. इसका नाम हसंग है.
ये WR 899 है. इस रेलिकार का इस्तेमाल नेरल माथेरान रेलवे में किया जाता था. इस इंजन को अनोखे बेल्ट ड्राइविंग मैकेनिज्म के लिए भी जाना जाता है.
WCG1 को पहले EF1 के नाम से जाना जाता था. यह पहले लंबे समय तक GIPR के साथ था और 1930 में भारतीय रेलवे में शामिल किए जाने के बाद इसे 90 के दशक में रिटायर किया गया. सेंट्रल रेलवे का स्टाफ इसे प्यार से 'केकड़ा' बुलाता था.
यह एमजी स्टीमर ऑरिजनल पैलेस ऑन व्हील कोच का हेड है. यह जयपुर स्टेट रेलवे का है.
MG डीजल लोकोमोटिव इंजन SR #203 को दिल्ली के नेशनल रेलवे म्यूजियम में रखा गया है.
B क्लास स्टीम लोकोमोटिव #777 को भी नेशनल रेलवे म्यूजियम में रखा गया है.
MTR नंबर 2 को भी नेशनल रेलवे म्यूजियम में रखा गया है.
WCP1 सर रॉजर ल्युमले को भी नेशनल रेल म्यूजियम में जगह मिली.
लोका 7161 और 15005 का इस्तेमाल विंटर स्टीम एक्सप्रेस में हुआ था, लेकिन हाल में इसके इस्तेमाल किए जाने की कोई खबर नहीं है.
कुन्नूर की वादियों में छुक-छुक करती नीलगिरी माउंटेन रेलवे ट्रेन.
लोकोमोटिव 738 की यह तस्वीर जनवरी 1974 की है.
ये DHR 'B' क्लास 788 टस्कर है. दार्जिलिंग में चलती है.
KC#520 इंजन और एक स्पेशल ट्रेन. और यह नजारा केएसआर के मल्टी-आर्क ब्रिज का.
कालका-शिमला रेलवे में कभी रेल मोटर कार 4 का इस्तेमाल किया जाता था.
सराया सुगर Co 0-4-0 #8 'ट्वीड' शार्प स्टीवार्ट को 1873 में बनाया गया था.
डेहरी-रोहतास रेलवे में दौड़ने वाली 6 एवोनसाइड 1926 में तैयार हुई थी.
इस्टर्न रेलवे के आसनसोल जंक्शन के यार्ड में खड़ी XE क्लास नंबर 22512.
जॉय राइड टॉय ट्रेन पर सर्दियों में घूमने का अपना ही मजा है.
सेंट्रल रेलवे WP 7067 की यह तस्वीर 8 नवंबर 1978 की है, जब यह ग्वालियर से रवाना हो रही थी.
टीपॉन्ग कोइलियरी में खड़ी बैगनल 0-4-0ST डेविड और बी क्लास 0-4-0ST #789.
ERS WDM-3a धीरे-धीरे वेंदुरुथी ब्रिज से ईआरएस की ओर जाता हुआ.