अगर आप भी अभी तक नए टैक्स स्लैब और पुराने टैक्स स्लैब के फेर में उलझे हुए हैं तो इस खबर से आपको थोड़ी मदद मिल सकती है. दरअसल, शनिवार को पेश हुए केंद्रीय बजट में टैक्स की दरों में तो कटौती की गई लेकिन इसके साथ ही टैक्स में मिलने वाली तमाम छूट या डिडक्शन को खत्म कर दिया गया है.
अगर आप पहले की तरह इन छूट का फायदा उठाना चाहते हैं तो फिर आपको पुरानी
टैक्स व्यवस्था यानी पुराने टैक्स स्लैब के हिसाब से ही टैक्स भरना होगा.
ऐसे में कुछ लोगों के लिए तो पुरानी टैक्स व्यवस्था ही फायदेमंद है जबकि
तमाम लोगों के लिए नई टैक्स व्यवस्था ज्यादा उपयुक्त है.
सरकार से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, बजट में प्रस्तावित नए टैक्स स्लैब का विकल्प चुनने पर उन लोगों को फायदा हो सकता है जिनकी सालाना आय 13 लाख रुपये से ऊपर है और वे 2 लाख रुपए तक की टैक्स छूट (डिडक्शन) लेते थे.
वहीं, जिनकी सालाना आय 12 लाख रुपये है और वे अभी तक करीब 2 लाख रुपये तक की टैक्स छूट (डिडक्शन) ले रहे थे तो उनके लिए नए टैक्स स्लैब के मुकाबले पुराना टैक्स सिस्टम ही फायदेमंद होगा. डेटा के मुताबिक, 5.78 करोड़ करदाताओं में से 5.3 करोड़ करदाताओं ने इनकम टैक्स रिटर्न भरते वक्त 2 लाख रुपए से कम टैक्स छूट (स्टैंडर्ड डिडक्शन, पीएफ, होम लोन, सोन इंट्रेस्ट, नेशनल पेंशन स्कीम, लाइफ इंश्योरेंस, मेडिकल इंश्योरेंस इत्यादि) का दावा किया था.
इसका मतलब ये है कि 90 फीसदी करदाता 2 लाख रुपए से कम ही डिडक्शन क्लेम करते हैं. आयकर दरों में कटौती करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मौजूदा 10 फीसदी, 20 फीसदी, 30 फीसदी के अलावा 15 और 25 फीसदी के दो नए टैक्स स्लैब जोड़ दिए हैं.
प्रस्तावित नए टैक्स स्लैब के तहत, 2.5 लाख रुपये तक की सालाना आय पर कोई टैक्स नहीं लगेगा. 2.5 लाख रुपये से लेकर 5 लाख रुपये तक की सालाना आय पर 5 फीसदी की दर से टैक्स लगेगा. 5 से 7.5 लाख की सालाना कमाई वाले लोगों को 10 फीसदी और 7.5 लाख से 10 लाख रुपये तक की सालाना आय वाले लोगों को 15 फीसदी की दर से कर चुकाना होगा.
10 से 12.5 लाख की सालाना आय पर 20 फीसदी की दर जबकि 12.5 से 15 लाख तक की सालान आय पर 25 फीसदी टैक्स लगाया गया है. 15 लाख से ऊपर की आमदनी पर 30 फीसदी टैक्स लगेगा. नए स्लैब के तहत तमाम पुरानी रियायतों को छोड़ना होगा.
सूत्र के मुताबिक, 13 लाख या उससे ऊपर सालाना आय वाले लोगों को नए टैक्स स्लैब के हिसाब से 1.43 लाख रुपये टैक्स में भरने होंगे. पुरानी टैक्स व्यवस्था में उन्हें 1.48 लाख रुपये भरने पड़ते, ऐसे में उन्हें 5200 रुपये की बचत होगी. वहीं, 14 लाख रुपये तक की सालाना आय पर 10,400 रुपये की बचत जबकि 15 लाख या उससे ऊपर की सालाना आय वाले लोगों को नई टैक्स व्यवस्था चुनने पर 15,600 रुपये की बचत होगी. (अगर ये मान लिया जाए कि ये लोग 2 लाख रुपये तक का डिडक्शन क्लेम करते हों)
अब बात करते हैं नॉन सैलरीड क्लास की जिन्हें 50,000 रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन नहीं मिलता है. अगर आपकी 9.5 लाख सालाना कमाई है और 1.5 लाख तक की टैक्स रिबेट लेते हैं तो फिर नई टैक्स व्यवस्था फायदेमंद होगी. इसमें आपको 5200 रुपये तक की बचत हो सकती है.