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बजट

बजट 2021: इलेक्ट्र‍िक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए ये कदम उठा सकती है सरकार

ई-मोबिलिटी के लिए चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर की जरूरत
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जिस तरह अभी देश के हर कोने तक पेट्रोल पंप की व्यवस्था है, उसी तरह ई-मोबिलिटी यानी इलेक्ट्र‍िक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए बजट में चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाने पर जोर दिया जा सकता है. सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम EESL ने चालू वित्त वर्ष में 2000 चार्जिंग स्टेशन बनाने का लक्ष्य रखा है, जबकि उसकी वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के मुताबिक अभी तक उसने 92 पब्लिक चार्जिंग स्टेशन स्थापित किए हैं. हालांकि विभिन्न सरकारी दफ्तरों इत्यादि में उसने लगभग 500 चार्जिंग स्टेशन स्थापित किए हैं. (फोटो :EESL)

बैटरियों पर GST को तार्किक बनाने की जरूरत
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सरकार को बजट में ई-व्हीकल बैटरी पर जीएसटी की दरों को तार्किक बनाना चाहिए. अभी बैटरी के साथ ई-व्हीकल बेचने पर 5% जीएसटी लगता है, जबकि अलग से बैटरी बेचने पर 28% का जीएसटी है. सड़क परिवहन मंत्रालय ने बिना बैटरी के बेचे जाने वाले वाहन को भी ई-व्हीकल की श्रेणी में रखा है, ऐसे में ई-व्हीकल उत्पादन से जुड़ी कंपनियां चाहती हैं कि इन दरों में समानता लाई जाए ताकि ग्राहकों के बीच ई-व्हीकल को लेकर रूझान बढ़े. (फोटो-EESL)

बैटरी स्वैपिंग को आसान बनाने की जरूरत
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ई-मोबिलिटी के लिए देश में जहां बैटरी चार्जिंग स्टेशन का इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाने की जरूरत है. वहीं जरूरी है कि बैटरी स्वैपिंग को भी आसान बनाया जाए. ई-व्हीकल कंपनियों के संगठन सोसायटी ऑफ मैन्युफैक्चर्स ऑफ ई-व्हीकल्स (SMEV) का कहना है कि इस दिशा में सरकार को बैटरी स्वैपिंग पर जीएसटी दर को समान करने की जरूरत है. अभी बैटरी स्वैपिंग की सेवा देने पर 18% जीएसटी लगता है, जबकि बैटरी चार्जिंग सेवा पर 5%, ऐसे में आगामी बजट में सरकार बैटरी स्वैपिंग पर भी 5% की दर से जीएसटी का प्रावधान कर सकती है. (सांकेतिक फोटो)

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ग्रीन टैक्स का पैसा ई-मोबिलिटी पर हो इस्तेमाल
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ई-व्हीकल को बढ़ावा देने से वायु प्रदूषण को कम करने में बड़े पैमाने पर मदद मिल सकती है. हाल में सरकार ने प्रदूषण पर रोकथाम के प्रयासों के लिए आठ साल पुराने वाहनों से ग्रीन टैक्स वसूलने का निर्णय भी किया है. ऐसे में आगामी बजट में सरकार को इस टैक्स का इस्तेमाल ‘ग्रीन मोबिलिटी’ के लिए करना चाहिए. सरकार चाहे तो ‘स्वच्छ भारत मिशन’ के तहत अलग से ‘स्वच्छ हवा’ का प्रावधान भी कर सकती है.

(फाइल फोटो)

कंपनियों को प्रोत्साहन, फेम-2 में संशोधन की जरूरत
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ई-मोबिलिटी को बढ़ावा देने के लिए बजट में कंपनियों को ‘आत्मनिर्भर भारत’ और मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र की PLI Scheme में प्रोत्साहन देने की जरूरत है. तभी 2030 तक देश को पूर्णतया ई-मोबिलिटी पर शिफ्ट किया जा सकेगा. प्रमुख इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहन कंपनी ओकिनावा ऑटोटेक के संस्थापक जीतेंद्र शर्मा का कहना है कि सरकार को ई-व्हीकल में इस्तेमाल होने वाले कच्चे माल पर जीएसटी दरों पर संशोधन करने के साथ-साथ फेम-2 नीति में योग्यता की पूर्व शर्तों को हटाना चाहिए, क्योंकि ग्राहकों के बीच यह कम लोकप्रिय है. कुछ इसी तरह की मांग SMEV की भी है. बल्कि उसका कहना है कि सरकार की फेम-1 नीति ने ई-व्हीकल उद्योग की ज्यादा मदद की है.

(फाइल फोटो)

स्क्रैप पॉलिसी से जोड़ने की जरूरत
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इलेक्ट्र‍िक वाहनों की खरीदारी बढ़ाने के लिए सरकार को इसे वाहन स्क्रैप पॉलिसी से जोड़ देना चाहिए. स्क्रैप पॉलिसी के तहत पुराने वाहन हटाने वाले लोगों को सरकार को आम पेट्रोल-डीजल वाहन की खरीद के स्थान पर ई-व्हीकल खरीदने के लिए अधिक छूट देनी चाहिए. इससे सरकार की दोनों नीतियों को जबरदस्त बढ़त मिलेगी. बजट में इन दोनों नीतियों पर बल देने से नए वाहनों का उत्पादन बढ़ेगा जो अर्थव्यवस्था की गति बढ़ाने में मदद करेगा.

(फाइल फोटो)

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