आम बजट 1 फरवरी को पेश होने वाला है. बजट से ठीक एक दिन पहले आज आर्थिक सर्वे पेश होगा. हर साल पेश होने वाले इस सर्वे रिपोर्ट से आधिकारिक तौर पता चलता है कि बीते साल आर्थिक मोर्चे पर देश का क्या हाल रहा. ऐसे में सवाल है कि पिछले साल आर्थिक सर्वे रिपोर्ट में देश की इकोनॉमी को लेकर क्या कहा गया था.. आइए तस्वीरों में जानते हैं. .
बीते साल सर्वे रिपोर्ट में बताया गया था कि जीडीपी की वृद्धि दर वर्ष 2017-18 में 7.2 फीसदी की जगह वर्ष 2018-19 में 6.8 फीसदी रही.
अच्छी विनिर्माण और निर्माण गतिविधि के कारण 2018-19 में औद्योगिक वृद्धि में भी तेजी आई थी. साल 2017-18 में ये दर 5.9 फीसदी था जो 2018-19 में 6.9 फीसदी बताया गया था.
बीते साल के आर्थिक सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक राजकोषीय घाटा 2017-18 में जीडीपी के 3.5 फीसदी से घटकर 2018-19 में 3.4 फीसदी रह गया.
रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय मुद्रा के संदर्भ में रुपये के अवमूल्यन के कारण जहां 2018-19 के दौरान निर्यात में वृद्धि दर्ज की गई, वहीं आयात में कमी आई.
बीते साल के आर्थिक सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक विदेशी मुद्रा भंडार एक साल पहले के मुकाबले घटा है. साल 2017-18 में विदेशी मुद्रा भंडार 424 बिलियन डॉलर था जो 2018-19 में 412.9 बिलियन डॉलर रह गया.
बीते साल के आर्थिक सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक 2018-19 में महंगाई की दर 3.4 फीसदी तक सीमित रही. उपभोक्ता खाद्य मूल्य सूचकांक (सीएफपीआई) आधारित खाद्य मुद्रा स्फ्रीति में भी लगातार 5वें वर्ष गिरावट दर्ज की गई और ये पिछले 2 वर्षों के दौरान 2 फीसदी से भी कम रही है.
सेवा क्षेत्र (निर्माण को छोड़कर) की वृद्धि दर 2017-18 के 8.1 फीसदी से मामूली रूप से गिरकर 2018-19 में 7.5 प्रतिशत पर आ गई.
बीते साल के सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक खाद्यान्न उत्पादन भी एक साल पहले की तुलना में कम हो गया. 2017- 18 में उत्पादन 285 मिलियन टन रहा जो 2018-19 में 283.4 मिलियन टन रहने का अनुमान जताया गया.
बता दें कि बीते साल 4 जुलाई को निर्मला सीतारमण ने अपना पहला आर्थिक सर्वे पेश किया था. इसके बाद 5 जुलाई को मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला आम बजट पेश किया गया.