सरकार में बजट बनाने की प्रक्रिया लंबी चलती है. केंद्रीय बजट की तैयारी लंबी और थकाऊ होती है इसमें पांच महीने से ज्यादा लगते हैं. इस प्रक्रिया में जबरदस्त गोपनीयता बरती जाती है.
सितंबर के अंत में
नए वित्त वर्ष के खर्च का आकलन शुरू हो जाता है. केंद्रीय मंत्रालयों और राज्यों से आय व खर्चों का ब्योरे की मांगे जाते हैं.
अक्टूबर के अंत में
सभी मंत्रालयों की ओर से ज्यादा फंड की मांग होती है. अलग-अलग मंत्रालयों की ओर से फंड पर वित्त मंत्रालय से कड़ी सौदेबाजी होती है.
दिसंबर
मंत्रालयों की ओर से वित्त मंत्रालय के सामने पहली कटौती प्रस्ताव पेश किया जाता है. कटौती प्रस्तावों का ब्योरा हमेशा नीले कागज पर पेश किया जाता है. माना जाता है काली स्याही सफेद की तुलना में हल्के नीले कागज पर ज्यादा उभर कर सामने आती है.
जनवरी
बजट पूर्व परामर्श के तहत वित्त मंत्री उद्योग प्रतिनिधियों, बैंकरों, अर्धशास्त्रियों और किसान संगठनों से मिलते हैं. इसमें उनकी मांग, सलाह और सुझावों पर चर्चा होती है. इसके बाद वित्त मंत्री अपने मंत्रालय के अधिकारियों की चार बैठकें लेते हैं और इस पर बजट का मोटा खाका खींचा जाता है. फीडबैक के लिए प्रधानमंत्री से भी मुलाकात करते हैं.
पत्रकारों पर प्रतिबंध
शुरुआत जनवरी से ही पत्रकारों के वित्त मंत्रालय में प्रवेश पर रोक लगा दी जाती है ताकि गोपनीयता बरकरार रहे.
फोन टेप
इंटेलिजेंस ब्यूरो जनवरी में ही वित्त मंत्रालय को अपने सुरक्षा घेरे में ले लेता है. ऐसा सिस्टम लगाया जाता है जिससे बजट लीक न हो. प्रमुख अधिकारियों के फोन टेप किए जाते हैं.
आगंतुक
वित्त मंत्रालय आने वाले लोगों पर सीसीटीवी कैमरे से निगरानी होती है. उन्हें सीसीटीवी से बाहर के दायरे में बैठने की अनुमति नहीं होती.
फरवरी का आखिरी सप्ताह
वित्त मंत्रालय के बेसमेंट में मौजूद प्रेस में बजट दस्तावेजों की प्रिंटिंग होती है, बजट पेश होने के एक सप्ताह पहले तक 100 कर्मचारियों को बिल्कुल अलग-थलग करके रखा जाता है ताकि कोई गोपनीय सूचना लीक न हो.
डॉक्टर
अलग-थलग किए कर्मचारियों में किसी भी स्वास्थ्य गड़बड़ी को रोकने के लिए डॉक्टरों का इंतजाम किया जाता है.
कैंटीन
यहां तक कि उन्हें मिलने वाले भोजन को पहले चखा जाता है ताकि उन्हें कोई जहर देने की कोशिश न करे.
इमरजेंसी
अगर अलग-थलग किए गए किसी कर्मचारी को इमरजेंसी में बाहर जाना ही पड़े तो उसके साथ हमेशा इंटेलिजेंस ब्यूरो और दिल्ली पुलिस का एक अफसर होता है. उसे नजरों से कभी भी ओझल नहीं होने दिया जाता.
दो दिन पहले
बजट भाषण के दो दिन पहले प्रेस इन्फॉरमेशन ब्यूरो के अधिकारी काम में लग जाते हैं. लगभग 20 अफसरों पर हिंदी, अंग्रेजी और उर्दू में प्रेस रिलीज बनाने की जिम्मेदारी होती है. बजट भाषण शुरू होने से पहले उन्हें बाहर नहीं निकलने दिया जाता.
फरवरी 28-29
पार्लियामेंट में बजट का ब्योरा पेश करने से पहले वित्त मंत्री राष्ट्रपति और यूनियन कैबिनेट को इसकी एक संक्षिप्त प्रस्तुति देते हैं. कैबिनेट को बजट भाषण से सिर्फ दस मिनट पहले संक्षिप्त ब्योरा दिया जाता है.
बजट का दिन
वित्त मंत्री बजट का ब्योरा संसद में पेश करते हैं. अमूमन उनका बजट भाषण सुबह 11 बजे शुरू होता है.