अरुण शौरी
पूर्व विनिवेश और दूरसंचार मंत्री
‘क्या वित्त मंत्री झुनझुना बजाना बंद करेंगे और क्या उद्योगपति उनके झुनझुने की तारीफ करना बंद करेंगे?’
अजीत रानाडे,
मुख्य अर्थशास्त्री, आदित्य बिरला ग्रुप
‘निवेशक स्थिरता की अपेक्षा कर रहे हैं. कोई मनमाना या नाखुश करने वाला फैसला नहीं होना चाहिए.’
आर.सी. भार्गव
चेयरमैन, मारुति सुजुकी
‘कारोबार करने में सुविधा को लेकर भारत का दुनिया में 132वां स्थान है. इसके क्या मायने हुए? कोई सरकार इस ओर नहीं देखती.’
गुरचरण दास,
लेखक और स्तंभकार,
पूर्व सीईओ, प्रोक्टर ऐंड गैंबल.
‘निवेशकों को कदम खींचने के लिए मजबूर करने वाली एक वजह चिदंबरम का अपना वित्त मंत्रालय है. गवर्नेंस से जुड़ी उसकी साख बेहद खराब है.’
बिबेक देबरॉय,
अर्थशास्त्री और प्रोफेसर,
सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च
‘मैं यूपीए-1 और यूपीए-2 दोनों की नीतियों से असहमत हूं. भविष्य जब इस दौर को आंकेगा तो इसे 1960 के दशक के अंत और 1970 के दशक के मध्य की तरह ही कसौटी पर कसेगा.’
आशिमा गोयल,
अर्थशास्त्री और प्रोफेसर आइजीआइडीआर, मुंबई
‘यह कहना सही नहीं है कि फैसले न किए जाने की वजह से समस्याएं हैं. यह व्यवस्था की दिक्कत ज्यादा है.’