इंडिया टुडे के अर्थशास्त्रियों के बोर्ड का मानना है कि केंद्र सरकार को अपने आखिरी बजट में अमीरों की लगाम कसने की बजाए सरकारी खर्च घटाने का राजनैतिक संकल्प दिखाना होगा.
विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार लोक-लुभावन नीतियों में फंसने और निवेशक की भावनाएं कुचलने का जोखिम नहीं उठा सकती.
28 फरवरी को वित्त मंत्री पी. चिदंबरम अप्रैल-मई 2014 में होने वाले अगले आम चुनाव से पहले यूपीए का आखिरी बजट पेश करने वाले हैं. आर्थिक माहौल चुनौतियों भरा है. 2012-13 में विकास दर जीडीपी के पांच प्रतिशत पर टिकी है जो पिछले 10 साल में सबसे कम है.
तीव्र विकास के चलते राजस्व तेजी से बढ़ा, टैक्स वसूली से भी सरकार ने खूब कमाई की है.
यूपीए के कार्यकाल में राजस्व तो बढ़ा लेकिन इस दौरान बढ़े सरकारी खर्चे ने राजस्व के आंकड़े को बहुत पीछे छोड़ दिया.
जमकर खर्च करने से विकास तेजी से हुआ और यूपीए 2009 में चुनाव जीत गई, लेकिन अब अर्थव्यवस्था निवेश के लिए संघर्ष कर रही है.
श्रीमान चिदंबरम और मंत्री चिदंबरम के बजट का अंतर. अगर आप अपने परिवार का बजट देश के बजट की तर्ज पर बनाएंगे तो यकीन मानिए आप दिवालिए हो जाएंगे