सारी दुनिया 'पैसे' (अर्थव्यवस्था) के दम पर चलती है. दुनिया में कुछ शख्सियतें ऐसी भी होती हैं, जिन्हें 'पैसे' को चलाने का हुनर बखूबी आता है. भारत में पी. चिदंबरम की गिनती ऐसी ही शख्सियतों में होती है.
पी. चिदंबरम देश के वित्त मंत्री हैं. एक तबके का ऐसा भी मानना है कि पी. चिदंबरम आगामी लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री पद के दावेदार हो सकते हैं.
पूर्व वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी के राष्ट्रपति बनने के बाद पी. चिदंबरम को वित्तमंत्री के पद पर बिठाया गया.
इससे ठीक पहले वे केंद्रीय गृहमंत्री थे.
पी. चिदंबरम का जन्म 16 सितंबर, 1945 को तमिलनाडु के गांव कनाडुकथन में हुआ था.
पी. चिदंबरम का पूरा नाम पलानीअप्पन चिदंबरम है.
पी. चिदंबरम ने आरंभिक शिक्षा मद्रास क्रिश्चियन सेकेंडरी स्कूल, चेन्नई से पूरी की.
पी. चिदंबरम ने चेन्नई के प्रेसिडेंसी कॉलेज से विज्ञान में सांख्यिकी विषय के साथ स्नातक की डिग्री हासिल की.
पी. चिदंबरम ने बोस्टन के हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से बिजनेस मैनेजमेंट में मास्टर डिग्री हासिल की.
चिदंबरम शुरुआती दौर में चेन्नई हाईकोर्ट में वकालत करते थे.
साल 1984 में वे वरिष्ठ वकील के तौर पर नामित हुए.
पी. चिदंबरम कई राज्यों के हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट में बतौर वकील काम कर चुके हैं.
पी. चिदंबरम के परिवार में पत्नी नलिनी चिदंबरम और एक बेटा है.
पी. चिदंबरम एक मंजे हुए अनुभवी राजनेता हैं.
यह अलग बात है कि कई अवसर पर चिदंबरम के निर्णय की काफी आलोचना हुई.
चिदंबरम बैडमिंटन और शतरंज जैसे खेलों में दिलचस्पी रखते हैं.
जनलोकपाल आंदोलन जब चरम पर था, तो चिदंबरम देश के गृहमंत्री थे.
जब दिल्ली पुलिस ने कानून व्यवस्था बिगड़ने का हवाला देकर अन्ना हजारे को गिरफ्तार करके उन्हें तिहाड़ भेजा, तो पी. चिदंबरम पर उंगली उठी.
तब ऐसा कहा गया कि इस अप्रिय स्थिति के लिए देश के गृहमंत्री होने के नाते चिदंबरम ही जिम्मेदार हैं.
अन्ना हजारे की गिरफ्तारी के मामले में चिदंबरम की खूब किरकिरी हुई.
रामलीला मैदान में योगगुरु रामदेव के समर्थकों पर हुए लाठीचार्ज के मामले में भी पी. चिदंबरम पर सवाल उठाए गए.
पी. चिदंबरम ने वर्ष 1972 में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की सदस्यता ग्रहण की.
चिदंबरम 1973 में तमिलनाडु में युवा कांग्रेस अध्यक्ष और तमिलनाडु कांग्रेस प्रदेश समिति के महासचिव भी रह चुके हैं.
वर्ष 1984 में तमिलनाडु के शिवगंगा निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा चुनाव जीतने के साथ पी. चिदंबरम सक्रिय राजनीति में आए.
इस सीट से उन्होंने लागातार 6 बार तक जीत दर्ज की.
राजीव गांधी सरकार के अंतर्गत पी. चिदंबरम कार्मिक मंत्रालय और वाणिज्य मंत्रालय में उप-मंत्री के तौर पर कार्य कर चुके हैं.
साल 1986 में पी. चिदंबरम को लोक-शिकायत व पेंशन मंत्रालय के साथ कार्मिक मंत्रालय में भी मंत्री पद मिला.
साल 1986 के अक्टूबर में पी. चिदंबरम को केन्द्रीय गृह मंत्रालय में, आंतरिक सुरक्षा मंत्री का पदभार दिया गया.
साल1991 में पी. चिदंबरम को राज्य मंत्री के पद पर वाणिज्य मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभारी बनाया गया.
वर्ष साल 1995 में वह दोबारा इस पद पर आसीन हुए.
वर्ष 2004 में मनमोहन सरकार के अंतर्गत दोबारा पी. चिदंबरम को वित्त-मंत्रालय सौंपा गया. इस पद पर वह 2008 तक रहे.
साल 2008 में दिल्ली में हुए आतंकवादी धमाकों के बाद तत्कालीन गृहमंत्री शिवराज पाटिल के इस्तीफा दिए जाने के बाद पी. चिदंबरम को गृह-मंत्री बनाया गया.
पी. चिदंबरम का विवादों से नाता कभी छूट नहीं पाया.
पी. चिदंबरम पर संसद में हिंदीभाषी सांसद और हिंदुओं के खिलाफ टिप्पणी करने जैसे कई आरोप लगे.
पी. चिदंबरम को किताबें पढ़ने का बहुत शौक है.