बीते 1 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने देश का आम बजट पेश किया. इस बजट की सबसे बड़ी बात नया टैक्स स्लैब है. जानकारों का कहना है कि नया टैक्स स्लैब लोगों के बीच भ्रम पैदा करने के लिए लाया गया है. अब खुद निर्मला सीतारमण ने इस मामले में जवाब दिया है.
निर्मला सीतारमण ने कहा कि टैक्सपेयर अचानक किसी दबाव में न पड़े, इसलिये नई व्यवस्था को वैकल्पिक रखा गया है. वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार ने टैक्स स्ट्रक्चर को सरल बनाने का कदम उठाया है. इसके जरिए हम चाहते हैं कि अचानक होने वाले बदलाव से टैक्सपेयर्स दबाव में न आएं. लोगों को इसे समझने का पर्याप्त समय मिले, इसीलिए नई और पुरानी दोनों व्यवस्थाओं का विकल्प रखा गया है.
टैक्स की नई व्यवस्था में जाने पर क्या बचत को मिलने वाला प्रोत्साहन समाप्त नहीं हो जायेगा? इस सवाल पर वित्त मंत्री ने कहा कि बचत करने से किसी को रोका नहीं जाएगा. उन्होंने कहा,‘‘आप खर्च कीजिये, बचत कीजिये, यह पूरी तरह आपके विवेक पर है. लेकिन पूरी व्यवस्था में सुधार लाने के बारे में सोचना होगा.’’
आपको बता दें कि वित्त मंत्री ने बजट में इनकम टैक्स की सात स्लैब वाली नई व्यवस्था की घोषणा की है. वित्त मंत्री ने इसमें टैक्सपेयर्स पर टैक्स बोझ कम होने का दावा किया है. हालांकि, नई व्यवस्था में कई तरह की टैक्स रियायतों और दी जाने वाली छूट को समाप्त कर दिया गया है.
पुरानी व्यवस्था में जहां पांच लाख तक, पांच से दस लाख तक और दस लाख रुपये
से अधिक की आय पर क्रमश: पांच, 20 और 30 प्रतिशत की दर से इनकम टैक्स
लगाने का प्रावधान है. वहीं नए ढांचे में 15 लाख रुपये तक इनकम के विभिन्न
स्तरों पर पांच, दस, 15, 20, 25 प्रतिशत और 30 प्रतिशत की दर से टैक्स का
प्रस्ताव किया गया है.
वित्त मंत्री ने कहा कि करदाता का भरोसा कायम करने के लिए सरकार ने करदाता अधिकार-घोषणा पत्र (टैक्सपेयर चार्टर) लाने की घोषणा की है. उन्होंने कहा कि गुमनाम तरीके से टैक्स आकलन, टैक्सपेयर को निचले स्तर के अधिकारियों के हाथों परेशानी से बचाने और ऐसे कई अन्य उपायों के बावजूद टैक्सपेयर को परेशान किए जाने की शिकायतों के बने रहने के बाद यह फैसला लिया गया है.
निर्मला सीतारमण के मुताबिक कोई भी टैक्स अधिकारी यदि किसी टैक्सपेयर को
नोटिस भेजता है तो उसे नोटिस को पहले उच्च अधिकारियों से जुड़े पोर्टल में
डालना होगा.
निर्मला सीतारमण ने बताया कि शीर्ष स्तर पर उसे जांचा-परखा जाएगा, सही होने पर उसे दस्तावेज
पहचान संख्या यानी डीआईएन नंबर दिया जायेगा. बिना डीआईएन नंबर के कोई भी
कर नोटिस मान्य नहीं होगा. बिना नंबर के नोटिस को टैक्सपेयर अवैध मानकर
कूड़ेदान में डाल सकते हैं.’’