बेशक अब भारतीय रेलवे का टाइम टेबल ऑनलाइन भी उपलब्ध, लेकिन एक समय ऐसा था, जब मुसाफिरों के लिए सिर्फ छपा हुआ ही टाइम टेबल उपलब्ध होता था. हिंदी में रेलवे का टाइम टेबल पहली बार 1927 में छपा था. आपको इस टाइम टेबल की पांच खास बातें बताते हैं
किसने बनाया
पहले हिंदी टाइम टेबल को तीन साल की मेहनत के बाद मुकुंद दास जी गुप्त 'प्रभाकर' ने बनाया था. यह वाराणसी में बना था.
कीमत
162 पन्नों के इस टाइम टेबल की कीमत तब सिर्फ आधा पैसा थी.
सीखनी पड़ी 12 भाषाएं
मुकुंद दास जी गुप्त 'प्रभाकर' के पोते रामकृष्ण अग्रवाल ने बताया कि रेलवे स्टेशनों के सही उच्चारण के लिए उनके दादा को 12 भाषाएं सीखनी पड़ी थीं.
कैसे मिली जिम्मेदारी
हिंदी में टाइम टेबल न होने के चलते रेल यात्रियों को तब बहुत ज्यादा समस्याओं का सामना करना पड़ता था. मुसाफिरों की समस्याओं को देखते हुए ही राजर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन ने मुकुंद दास जी को यह जिम्मेदारी सौंपी.
कितना वक्त लगा
बताया जाता है कि 1924 में मुकुंद दास जी, राजर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन से मिलने इलाहाबाद गए थे. वहां लाल बहादुर शास्त्री भी मौजूदगी में मुकुंद जी को यह जिम्मेदारी सौंपी गई. मुकुंद दास जी ने लगभन तीन सालों की कड़ी मेहतन के बाद 15 अगस्त 1927 को रेलवे का पहला हिंदी टाइम टेबल यात्रियों के लिए पेश किया.