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रेलवे की आधुनिकीकरण परियोजना का सुझाव पेश

सैम पित्रोदा की अध्यक्षता में रेलवे के आधुनिकीकरण के लिए गठित एक उच्च स्तरीय समिति ने सोमवार को अगले पांच सालों में भारतीय रेल के पूर्ण आधुनिकीकरण के लिए आठ लाख करोड़ रुपये खर्च करने का सुझाव दिया.

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सैम पित्रोदा की अध्यक्षता में रेलवे के आधुनिकीकरण के लिए गठित एक उच्च स्तरीय समिति ने सोमवार को अगले पांच सालों में भारतीय रेल के पूर्ण आधुनिकीकरण के लिए आठ लाख करोड़ रुपये खर्च करने का सुझाव दिया. समिति की रिपोर्ट रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी को प्रस्तुत किए जाने के बाद नवाचार और सार्वजनिक सूचना ढांचागत संरचना पर प्रधानमंत्री के सलाहकार पित्रोदा ने शिकागो से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए संवाददाताओं से कहा, 'रेलवे को अपने नेटवर्क के पूर्ण आधुनिकीकरण के लिए बड़े कदम उठाने होंगे. एक स्पष्ट सोच अख्तियार करनी होगी और एक अभियान स्तर पर काम करना होगा.'

विशेषज्ञता प्राप्त समिति का गठन पिछले साल सितम्बर महीने में किया गया था. रिपोर्ट में दिए गए सुझावों में शामिल हैं रेलवे के कुल 64 हजार किलोमीटर मार्ग में से 19 हजार किलोमीटर का आधुनिकीकरण, 11,250 पुलों को मजबूत बनाना और सभी लेवल क्रॉसिंग समाप्त करना.

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रिपोर्ट में नई पीढ़ी के रेल इंजन, उच्च गति वाले डिब्बे, सभी यात्री रेलगाड़ियों में पर्यावरण अनुकूल शौचालय तथा 100 बड़े स्टेशनों के आधुनिकीकरण का भी सुझाव है.

अगले 10 सालों में 6,200 किलोमीटर के उत्तर-दक्षिण, पूरब-पश्चिम, पूर्वी तट, दक्षिणी समर्पित माल ढुलाई गलियारे के निर्माण को आगे बढ़ाने के लिए समिति ने अहमदाबाद और मुंबई के बीच 300 किलोमीटर प्रति घंटा की गति वाले एक रेल मार्ग का सुझाव दिया.

रिपोर्ट में कहा गया कि रेलवे बोर्ड को एक कारोबारी घराने की तरह पुनर्गठित किया जाना चाहिए और इसके अध्यक्ष को एक मुख्य कार्यकारी अधिकारी की तरह कार्य करना चाहिए. समिति ने नकदी संकट से जूझ रहे रेलवे के लिए किराया तय करने वाले एक प्राधिकरण का भी सुझाव दिया. समिति के मुताबिक इस पर अगले पांच सालों में 8,22,671 करोड़ रुपये खर्च होंगे.

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