मोदी सरकार का दूसरा बजट आने वाला है. पहले बजट में उस सरकार की ज्यादा नहीं चली थी लेकिन अब उसे काफी वक्त मिला है और उसने आम बजट तैयार कर लिया है जो अब छपाई के दौर में है. इस बजट से समाज के हर वर्ग के लोगों को बहुत उम्मीदे हैं लेकिन सबसे ज्यादा नौकरीपेशा वर्ग को है.
नौकरीपेशा वर्ग को पिछले सालों की महंगाई ने बहुत चोट पहुंचाई और ऊंची ब्याज दरों ने रही-सही कसर पूरी कर दी. बच्चों के स्कूलों की फीस, बढ़े हुए ट्रांसपोर्ट के खर्चे और मेडिकल बिल ने उसकी शांति भंग कर दी. अब वह इंतज़ार कर रहा है कि उसे राहक मिले.
आइए देखते हैं कि वे कौन से 10 तरह की राहत की उम्मीद इस बजट से कर रहा हैः
1. इनकम टैक्स में छूट-इनकम टैक्स में छूट हर कोई चाह रहा है और नौकरीपेशा वर्ग चाहता है कि इसे बढ़ाकर तीन लाख रुपए प्रति वर्ष कर दिया जाए. वह यह भी चाहता है कि टैक्स स्लैब में भी बदलाव हो. वह यह भी चाहता है कि बचत योजनाओं पर निवेश की सीमा बढ़ा दी जाए जो अभी डेढ़ लाख रुपए तक ही है.
2. ट्रांसपोर्ट छूट में बढ़ोतरी-नौकरीपेशा वर्ग काम करने के लिए दूर-दूर तक की जगहों पर जाता है. उसे बस, ऑटो रिक्शा, ट्रेन, अपनी कार वगैरह जैसे साधनों का उपयोग करना पड़ता है लेकिन इन पर छूट महज 800 रुपए महीना ही है जो आज की दरों के हिसाब से बहुत ही कम है. इसमें तुरंत बढ़ोतरी होनी चाहिए.
3. शिक्षा भत्ते में बढ़ोतरी-शिक्षा में यानी बच्चों की पढ़ाई के लिए छूट महज 100 रुपए प्रति बालक है जबकि स्कूलों में ट्यूशन फी बढ़कर 500 रुपए से लेकर 1,000 रुपए तक हो चुकी है. इसलिए सरकार इस छूट की सीमा यथार्थ स्तर तक ले जाए. इसी तरह होस्टल में रहने वालों के लिए यह छूट महज 300 रुपए प्रति माह है. इसे भी बढ़ाया जाना चाहिए.
4. मोडिकल छूट की सीमा-अभी देश में इलाज और दवाओं के लिए छूट की सीमा महज 15,000 रुपए सालाना है,. इलाज और दवाओं के बढ़ते खर्च के कारण इसमें तुरंत बढ़ोतरी की जानी चाहिए. यह राशि बहुत पहले तय हुई थी. इस बढ़ाकर कम से कम 25,000 कर दिया जाना चाहिए.
5. एलटीए की सीमा में बढ़ोतरी-अभी सरकार चार साल में दो बार एलटीए पर छूट देती है इसमें बढ़ोतरी होनी चाहिए. इससे देश में पर्यटन को बढ़ावा दिया मिलेगा.
6. इन्फ्रास्ट्रक्चर बांड-2010 में सरकार ने इन्फ्रास्ट्रक्चर बांडों में निवेश के लिए 20,000 रुपए की छूट का प्रावधान किया था. लेकिन इसे हटा दिया गया था. अब इसे लागू करने से नौकरीपेशा वर्ग निवेश के लिए तैयार होगा.
7. मकान किराये में छूट-जो लोग मकान किराये की रसीद नहीं दे पाते हैं उनके लिए टैक्स में छूट महज 2,000 रुपए प्रति माह तक ही है. इस राशि को बढ़ाना चाहिए क्योंकि शहरों में मकानों के किराये काफी बढ़ गए हैं.
8. पेमेंट ऑफ लीव इनकैशमेंट-जो लोग अपनी छुट्टियों के बदले पैसे ले लेते हैं उनके लिए इनकम टैक्स छूट की सीमा महज 3 लाख रुपए है. 16 साल से यह राशि ज्यों की त्यों है. तन्ख्वाहें बढ़ने के कारण इनमें बढ़ोतरी जरूरी हो गई है. इसे बढ़ाकर कम से कम 10 लाख रुपए कर दी जानी चाहिए.
9. फिक्स्ड डिपॉजिट की समय सीमा-इस समय टैक्स फ्री एफडी की समय सीमा पांच साल की है. इसलिए लोग इसमें पैसा फंसाना नहीं चाहते. सरकार को चाहिए कि यह घटाकर 36 महीने कर दे. इससे नौकरीपेशा वर्ग इस ओर आकर्षित होगा.
10. सर्विस टैक्स दायरे में कटौती-इस समय कई तरह की सेवाओं पर सर्विस टैक्स है. इसकी मार नौकरीपेशा वर्ग को ज्यादा झेलनी पड़ती है और कई जाने-अनजाने में उससे वह सर्विस टैक्स ले लिया जाता है जो लेना नहीं चाहिए था. सरकार को इनकी संख्या घटानी चाहिए ताकि टैक्स का बोझ कम हो.