रेल मंत्री पवन कुमार बंसल मंगलवार को अपना पहला रेल बजट पेश करेंगे. करीब 20 सालों के बाद ये पहला मौका होगा, जब कांग्रेस का मंत्री रेल बजट पेश करेगा. पवन बंसल की बजट एक्सप्रेस से मुसाफिरों की आफत बढ़ेगी या फिर राहत मिलेगी. लगातार घाटे में चल रही रेल को पटरी पर लाना रेल मंत्री के लिये सबसे बड़ी चुनौती होगी. लेकिन उससे भी बड़ी चुनौती चुनावों से पहले सहयोगी और खुद अपनी पार्टी को खुश रखने की होगी. माना जा रहा है कि चुनाव का दबाव इस साल के रेल बजट में साफ झलकेगा.
क्या एक बार फिर बढ़ेगा किराया?
रेल मंत्री पवन बंसल के बजट ट्रैक पर दौड़ने को तैयार है ट्रेन. अब सवाल यही है कि क्या एक बार फिर से मुसाफिरों की जेब पर किराए का बोझ बढ़ेगा? रेल मंत्री भले ही रेल किराया बढ़ाने को लेकर खुल कर कुछ भी न बोले हों, लेकिन जनवरी में किराए में जबरदस्त इजाफे के बाद भी इशारों इशारों में इसके संकेत से इनकार नहीं किया. चुनावी साल में ये फैसला आसान नहीं.
पिछले दरवाजे से पैसे जुटाने की जुगत में रेलवे
यूपीए के 9 साल के शासन में रेल मंत्रालय का इस्तेमाल सियासी फायदे और जनता की वाहवाही लूटने के लिए होता रहा. रेल मंत्री बदलते रहे, लेकिन रेलवे के हालात नहीं बदले. हाल में किराए में बढ़ोतरी से रेलवे को 6600 करोड़ रुपए आतिरिक्त आय का अनुमान था, लेकिन डीजल की कीमत बढ़ने की वजह से रेलवे को ढ़ाई हजार करोड़ और ज्यादा खर्च करने पड़े. सूत्रों की मानें तो रेलवे पिछले दरवाजे से पैसे जुटाने की जुगत में है.
माना जा रहा है कि किराया सीधे न बढ़ा कर फ्यूल सरचार्ज के तौर पर रेल टिकट के दाम बढ़ाए जा सकते हैं. रेलवे अनाज, दाल, नमक, प्याज, आलू, चीनी, वनस्पति घी, गुड़ और चारे जैसी जरूरी चीजों को छोड़ कर सीमेंट, लोहा और कोयला जैसे सामानों के माल भाड़े में इजाफा कर सकता है. इसके अलावा बजट में रेल टैरिफ अथॉरिटी के गठन का भी ऐलान हो सकता है, जो यात्री किराए और रेलवे में माल ढ़ुलाई की दर को लेकर निगरानी करेगा. हालांकि विशेषज्ञों की मानें तो किराया बढ़ाकर अगर मुसाफिरों को सुविधाएं ज्यादा मिले तो सौदा बुरा नहीं.
सेमी हाई स्पीड ट्रेनों का हो सकता है ऐलान
रेल पटरियों पर ट्रेनों की बड़ी संख्या को देखते हुए इस बजट में नई ट्रेनों के ऐलान पहले की तरह नहीं होगी. लेकिन माना जा रहा है कि बजट में 25 नई ट्रेनें और 50 से ज्यादा ट्रेनों के फेरों को बढ़ाने का ऐलान हो सकता हैं. दिल्ली और मुंबई के बीच मुसाफिरों की वेटिंग लिस्ट को शून्य करने के लिए नई राजधानी ट्रेन चलाई जा सकती है. बुलेट ट्रेन के सपने को छोड़ कर 130 से 200 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार वाली कुछ सेमी हाई स्पीड ट्रेनों का ऐलान भी हो सकता है.
दर्जन भर सुपर आदर्श स्टेशनों का ऐलान संभव
मुंबई के तिलक टर्मिनल की तर्ज़ पर देश भर में दर्जन भर सुपर आदर्श स्टेशन बनाने का ऐलान भी इस बार के रेल बजट में किया जा सकता है. रेलवे में मुसाफिरों की जरूरतों और मांग को देखते हुए खान-पान को अलग-अलग कीमतों के आधार पर अलग-अलग वर्गों में बांटा जा सकता है. माल ढुलाई के लिए अलग से फ्रेट कॉरिडोर से जुड़ी कुछ योजनाओं का ऐलान भी इस बार के बजट में हो सकता है.
रेल कर्मचारिओं को बेहतर प्रबंधन और सुरक्षा के गुर सिखाने के लिए रायबरेली या अमेठी में एक प्रशिक्षण और शोध संस्थान खोलने का ऐलान हो सकता है. रेलवे की हालत को सुधारने के लिए पित्रोदा कमिटी और काकोदकर कमिटी की सिफारिशों के आधार पर रेल बोर्ड का विस्तार भी इस बार के बजट में किया जा सकता है.
रेल कानूनों में बदलाव का भी हो सकता है ऐलान
अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए रेलवे कुल 12 कारखानों की स्थापना कर रहा है. इनमें से ज्यादातर कारखानों में 50 से 80 फीसदी काम पूरा हो चुका है. चुनावी साल में रेल मंत्री इन कारखानों से उत्पादन शुरू कराना चाहते हैं, जिसमें रायबरेली की रेल कोच फैक्ट्री भी है. पिछले 15 सालों में जितने प्रोजेक्ट का ऐलान किया गया, उनको पूरा करने के लिए करीब 5 लाख करोड़ की जरुरत है. पैसे जुटाने के लिए और रेलवे के विकास में निजी भागीदारों को शामिल करने के लिए रेलवे कानूनों में भी बदलाव किया जा सकता है ताकि मंत्रियों के बदलने के बाद भी निजी क्षेत्र को फायदा मिलने का भरोसा जगे.