बजट के खास प्रावधानों को लेकर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शुक्रवार को ओपन हाउस को संबोधित किया. इसमें मीडिया, कारोबार और दूसरे क्षेत्रों से जुड़े लोगों के साथ वित्तमंत्री ने बजट पर चर्चा की. कार्यक्रम में आजतक ने जेटली से छोटे करदाताओं से जुड़ा मुद्दा उठाया.
इस सवाल पर वित्तमंत्री ने कहा कि मेरे सभी बजट में छोटे करदाताओं को राहत दी गई है. ये ईमानदार टैक्स पेयर्स के लिए है और छोटे टैक्स पेयर्स को टैक्स स्लैब में लाने के लिए उठाया गया कदम है.
जेटली ने कहा कि मैंने टैक्स स्लैब कम किया है. दूसरी ओर टैक्स स्लैब बढ़ाना हमारे लिए सबसे बड़ी चुनौती है. 5 फीसदी का टैक्स स्लैब दुनिया में सबसे कम है और यह भारत में है.
उन्होंने जोर देकर कहा कि टैक्स पेयर्स की संख्या घटाकर हम कोई देशसेवा नहीं करते हैं, जबकि छोटे करदाताओं को भी बजट में भी राहत दी गई है.
टैक्स स्लैब में कोई राहत नहीं, एक फीसदी बढ़ाया उपकर
बता दें कि वित्तमंत्री ने गुरुवार को पेश बजट में आयकर दरों में 2018-19 के लिए कोई राहत नहीं दी, बल्कि 11,000 करोड़ रुपये जुटाने के लिए इस पर एक फीसदी उपकर बढ़ा दिया. जेटली ने अपने बजट भाषण में कहा, 'सरकार ने बीते तीन सालों में व्यक्तियों पर लागू निजी आयकर दरों में बहुत से सकारात्मक बदलाव किए हैं.'
उन्होंने कहा, 'इसलिए मैं व्यक्तिगत आयकर दरों की संरचना में बदलाव करने का प्रस्ताव नहीं करता हूं.' लेकिन, जेटली ने निजी आय कर पर लागू उपकर को एक फीसदी बढ़ाने का प्रस्ताव दिया.
जेटली ने कहा, 'मौजूदा समय में निजी आय कर और कॉरपोरेशन कर पर तीन फीसदी उपकर है, जिसमें दो फीसदी उपकर प्राथमिक शिक्षा के लिए और एक फीसदी उपकर माध्यमिक व उच्च शिक्षा के लिए है. गरीबी रेखा से नीचे के लोगों व ग्रामीण परिवारों के स्वास्थ्य और शिक्षा की जरूरतों के लिए मैंने कार्यक्रमों की घोषणा की है.'
उन्होंने कहा, 'इन कार्यक्रमों के लिए कोष एकत्र करने के लिए मैं उपकर में एक फीसदी की बढ़ोतरी का प्रस्ताव देता हूं. मौजूदा तीन फीसदी शिक्षा उपकर के जगह भुगतान किए जाने वाले कर में स्वास्थ्य और शिक्षा के लिए चार फीसदी उपकर लगेगा. इससे हम अनुमानित अतिरिक्त 11,000 करोड़ की राशि जुटाने में समर्थ होंगे.'
40 हजार रुपये के स्टैंडर्ड डिडक्शन का प्रावधान
इसके अतिरिक्त जेटली ने वेतनभोगी करदाताओं को मिलने वाले परिवहन भत्ता (एलटीए) और विभिन्न चिकित्सा व्यय (मेडिकल) में वर्तमान कर छूट के बदले 40,000 रुपये के मानक कटौती (स्टैंडर्ड डिडक्शन) का प्रस्ताव दिया.
जेटली ने कहा, 'कागजी कार्य और अनुपालन को कम करने के अलावा यह मध्यम वर्ग के कर्मचारियों की कर देनदारी में कमी लाने में मदद करेगा. मानक कटौती के फैसले से खास तौर से पेंशनधारकों को फायदा पहुंचेगा, जो आम तौर पर परिवहन और मेडिकल खर्चो की वजह से किसी भी भत्ते का लाभ नहीं लेते हैं. इस फैसले से राजस्व पर करीब 8,000 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा.'
उन्होंने कहा, 'इस फैसले से लाभान्वित होने वाले कुल वेतनभोगी कर्मचारियों और पेंशनधारकों की संख्या करीब 2.5 करोड़ होगी.' मौजूदा समय में चिकित्सा खर्चे के लिए कर मुक्त सीमा 15,000 रुपये सलाना और परिवहन भत्ता छूट 1,600 रुपये प्रति माह है.