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बजट 2018: घर खरीदना होगा सस्ता? 5 वजहों से मिल सकती है राहत

बजट की तैयारियां जोरों पर हैं. हर क्षेत्र की तरह ही रियल इस्टेट ने भी बजट से काफी अपेक्षाएं पाली हुई हैं.  प्री-बजट मीटिंग और बजट के लिए सुझाव देने के दौरान सरकार के पास 5 ऐसे सुझाव व मांगें आई हैं, जिनको अगर वह मान ले तो आम आदमी के लिए घर खरीदना काफी सस्ता हो सकता है.

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बजट 2018 में मिल सकता है सस्ते घर का तोहफा
बजट 2018 में मिल सकता है सस्ते घर का तोहफा

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बजट की तैयारियां जोरों पर हैं. हर क्षेत्र की तरह ही रियल इस्टेट ने भी बजट से काफी अपेक्षाएं पाली हुई हैं. प्री-बजट मीटिंग और बजट के लिए सुझाव देने के दौरान सरकार के पास 5 ऐसे सुझाव व मांगें आई हैं, जिनको अगर वह मान ले तो आम आदमी के लिए घर खरीदना काफी सस्ता हो सकता है.

तीना गुना बढ़े बजट

आवास एवं शहरी विकास मंत्रालय ने वित्त मंत्री अरुण जेटली से मंत्रालय के बजट आवंटन में तीन गुना बढ़ोतरी करने की मांग की है. मंत्रालय का कहना है कि अगले 5 साल के भीतर 'सबके लिए घर ' योजना के तहत इस फंड का इस्तेमाल किया जाएगा. मंत्रालय ने इस संबंध में वित्त मंत्रालय को अपना सुझाव भेज दिया है.

20 हजार करोड़ रुपये के फंड की मांग

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सूत्रों के मुताबिक प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत सबके लिए घर की योजना को हासिल करने के लिए वित्त वर्ष 2018-19 में करीब 20 हजार करोड़ रुपये की मांग की गई है. जेटली अगर मंत्रालय की मांग को बजट में मूर्त रूप दे देते हैं, तो इससे आम लोगों सस्ता घर मिलने की शुरुआत इसी साल से हो जाएगी.

रियल इस्टेट की सुधरेगी हालत

रियल इस्टेट नोटबंदी और जीएसटी के झटकों से पूरी तरह उभर नहीं पाया है. पिछले साल देश में जहां कम रियल इस्टेट प्रोजेक्ट लॉन्च हुए हैं. वहीं, घरों की बिक्री भी घटी है. प्रॉपर्टी कंसलटेंट नाइट फ्रैंक की एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2017 में प्रॉपर्टी की कीमतों में काफी कमी आई है.

कम हुई है बिक्री

रिपोर्ट के मुताबिक प्रॉपर्टी की कीमतों में आई इस गिरावट के लिए कम डिमांड जिम्मेदार रही. बेंगलुरु में जहां 26 फीसदी घरों की बिक्री गिरी. वहीं, दिल्ली एनसीआर में यह गिरावट 6 फीसदी और चेन्नई में बिक्री 20 फीसदी कम रही. हालांकि मुंबई और पुणे में डिमांड अन्य शहरों के मुकाबले बेहतर दिखी.

हो सकती है अहम घोषणा

इस स्थिति को देखते हुए सरकार इस सेक्टर को जीवनदान देना चाहेगी. ऐसे में वह इस सेक्टर की हालत सुधारने के लिए कुछ अहम फैसले ले सकती है. सेक्टर की बेहतरी के खातिर फैसलों की घोषणा करते वक्त सरकार यह भी ध्यान रखेगी कि इसका असर आपकी जेब पर न पड़े.

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कम हो टैक्स का बोझ

बिल्डर्स ने वित्त मंत्री से मांग की है कि रियल इस्टेट सेक्टर को 'इंफ्रास्ट्रक्चर' का दर्जा दिया जाए. इसके साथ ही उन्होंने मांग की है कि सेक्टर पर टैक्स का बोझ भी कम हो. बिल्डर्स की मांग है कि सेक्टर पर लग रहे 12 फीसदी जीएसटी की जगह 6 फीसदी ही टैक्स लगे. नारेडको के राष्ट्रीय अध्यक्ष निरंजन हीरानंदानी ने कहा है कि जीएसटी घटने के साथ ही इनपुट टैक्स क्रेडिट मिलने से सेक्टर को राहत मिल सकती है.

अगर वित्त मंत्री इनकी बात मान लेते हैं, तो घर निर्माण में लगने वाले खर्च में कमी आएगी. इसका सीधा फायदा सस्ते फ्लैट के तौर पर मिल सकता है.

सबको घर का वादा करना है पूरा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी बेघरों को घर मुहैया कराने का वादा किया था. इसी को देखते हुए ही आवास एवं शहरी विकास मंत्रालय ने फंड बढ़ाने की मांग की है. मंत्रालय की दलील है कि प्रधानमंत्री की प्राथमिकता सभी बेघरों को घर मुहैया कराना है. इस प्राथम‍िकता को देखते हुए बजट में ज्यादा बजटीय आवंटन होना चाहिए.

सस्ते घर देने पर है फोकस

2019 के लोकसभा चुनाव से पहले आ रहे इस बजट में पीएम मोदी के इस वादे को धार देने के लिए वित्त  मंत्री अहम घोषणाएं कर सकते हैं. सरकार का फोकस भी पिछले साल पीएम मोदी की इस प्राथमिकता को पूरा करने पर दिखा. ऐसे में प्रधानमंत्री आवास योजना व अन्य इस तरह की योजनाओं को सस्ते घर दिलाने के लिए और भी सरल बनाया जा सकता है.

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