आज मोदी सरकार संसद में बजट पेश कर रही है. नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली मौजूदा सरकार अपने कार्यकाल का आखिरी और अंतरिम बजट पेश कर रही है. इस बजट को लेकर लोगों को कई उम्मीदें और पूरा देश इस पर नजरें लगाए हुए हैं. ऐसे में हम आपको बताते हैं बजट से जुड़ी कुछ खास बातें और बजट में क्या- क्या बदलाव हुए और कैसे बदली बजट की कई परंपराएं.
टाइम टेबल: केंद्रीय बजट तैयार करने में लगभग 5 से 7 महीने का समय लगता है. पहले बजट को फरवरी के अंतिम कार्य दिवस (लास्ट वर्किंग डे) पर पेश किया जाता था, लेकिन साल 2017 में अरुण जेटली ने तारीख बदलकर 1 फरवरी कर दी. जिसके बाद से बजट 1 फरवरी को पेश हो रहा है.
ब्लू शीट: एक नीले रंग के कागज पर बजट के सभी दस्तावेजों के मुख्य बिंदु होते हैं. इसे वित्त मंत्री को सौंप दिया जाता है. बता दें, इस नीले रंग की शीट को कड़ी निगरानी में रखा जाता है. खुद वित्त मंत्री को इसे अपने पास रखने की अनुमति नहीं है.
समय में बदलाव: 1999 तक केंद्रीय बजट शाम 5 बजे घोषित किया जाता था, लेकिन साल 2001 से तत्कालीन वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने पुरानी परंपरा को तोड़ते हुए पहली बार सुबह 11 बजे बजट पेश किया गया था. जिसके बाद से आज तक बजट 11 बजे ही पेश किया जाता है.
लंबा और छोटा भाषण: बजट के दौरान भाषण आमतौर पर लगभग एक घंटे तक रहता है, लेकिन हमेशा नहीं. मनमोहन सिंह ने सबसे लंबा भाषण 1991 (18,650 शब्दों) में दिया गया था, इसके बाद पिछले साल वित्त मंत्री अरुण जेटली ने करीब 18,604 शब्दों में भाषण दिया. वहीं बजट के दौरान सबसे छोटा भाषण साल 1977 में हिरूभाई एम पटेल ने 800 शब्दों का दिया था.
सीक्रेट फाइल : बजट पेश करने के दौरान कुछ भी लीक न हो उसके लिए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम होते हैं. फोन और कंप्यूटर की टैपिंग, हाई-टेक सर्विलांस, इलेक्ट्रॉनिक बग्स के लिए स्वीप, हिडन कैमरा, जैमर और स्कैनर सभी का खास ध्यान रखा जाता है.
स्वीट सेरेमनी: बजट पेश करने से पहले सरकार हलवा सेरेमनी का आयोजन करती है. बता दें, वित्त मंत्रालय के बेसमेंट में बजट के डॉक्यूमेंट्स की आधिकारिक छपाई 1 हफ्ते पहले शुरू हो जाती है. जिसके बाद इस अवसर को हलवा समारोह द्वारा हरी झंडी दिखाई जाती है. ये हलवा लगभग वित्त मंत्री को ओर से लगभग 100 अधिकारियों और कर्मचारियों में बांटा जाता है.
बाहर जाने की अनुमति नहीं: बजट पेश होने तक कर्मचारियों को नॉर्थ ब्लॉक के अंदर लॉक कर दिया जाता है. वे सभी परिसर नहीं छोड़ सकते, अपने परिवार या दोस्तों से संपर्क नहीं कर सकते. वहीं खाना खाने से पहले वहां फू़ड टेस्टर खाने का नमूना लेते हैं. वहीं डॉक्टर मौजूद रहते हैं, अगर किसी को गंभीर परिस्थितियों में बाहर निकलने की जरूरत है, तो वे खुफिया अधिकारियों और पुलिस के साथ रहते हैं.
सूटकेस की कहानी: आपने देखा होगा कि जब भी वित्त मंत्री बजट पेश करने जाते हैं तो उनके हाथ में एक सूटकेस भी होता है. साथ ही सूटकेस के साथ फोटो भी खिंचवाते हैं. बताया जाता है कि 1860 में ब्रिटेन के ‘चांसलर ऑफ दी एक्सचेकर चीफ’ विलियम एवर्ट ग्लैडस्टन फाइनेंशियल पेपर्स के बंडल को लेदर बैग में लेकर आए थे. तभी से यह परंपरा निकल पड़ी. यूके के वित्त मंत्री अपने साथ लाल रंग के लेदर सूटकेस का इस्तेमाल करते हैं. अगर याद हो तो पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा का बकल स्ट्रैप लेदर केस और प्रणब मुखर्जी का रेड वेलवेट सूटकेस.
प्रसिद्ध कोट्स: वित्त मंत्री ने हमेशा बजट भाषण के दौरान प्रसिद्ध लोगों के विचारों के बारे में बताया है. जैसे मनमोहन सिंह ने रवींद्रनाथ टैगोर और विक्टर ह्यूगो के विचार के बारे में बताया था, अरुण जेटली और पी चिदंबरम ने विवेकानंद और तिरुवल्लुवर के विचारों के बारे में बताया था. ऐसे ही प्रणब मुखर्जी ने कौटिल्य और शेक्सपियर के विचारों के बारे में बताया था.
बजट के दिन पहनावा: बजट दिवस बयान देने का दिन है. वहीं इस कौन से वित्त मंत्री अपना सिग्नेचर ड्रेस कोड नहीं पहना चाहते हैं. स्वतंत्र भारत के पहले वित्त मंत्री शनमुखम शेट्टी ने धोती-कुर्ता और गांधी टोपी पहनकर बजट पेश किया था. अरुण जेटली ने अपने कुर्ता पायजामा के साथ नेहरू जैकेट पहना था. प्रणब मुखर्जी बंद गले के कोट में आते थे.
पीयूष गोयल: इस साल अरुण जेटली की जगह पीयूष गोयल बजट पेश करेंगे. अरुण जेटली अमेरिका में अपना इलाज करवा रहे हैं जिसके चलते डॉक्टर ने उन्हें आराम करने के लिए कहा है.