मोदी सरकार ने अपने आखिरी बजट में राजधानी दिल्ली के लिए 1112 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है और केंद्रीय कर और शुल्कों में उसके हिस्से में बदलाव नहीं किया गया है. इस पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपनी तीखी प्रतिक्रिया दी है. आम आदमी पार्टी के संयोजक केजरीवाल ने बजट को मोदी सरकार का आखिरी जुमला बताया है.
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट किया, 'मोदी सरकार का आखिरी जुमला, अंतरिम बजट ने दिल्ली को पूरी तरह निराश किया है. केंद्रीय करों में हमारे हिस्से के 325 करोड़ रुपये बकाया हैं, स्थानीय निकायों को भी कुछ नहीं दिया गया. दिल्ली को अब अपने बजट पर ही निर्भर रहना पड़ेगा.'
Final jumla of Modi govt : it's interim budget too completely disappoints Delhi. Our share in central taxes remains frozen at Rs 325 crore & nothing earmarked for local bodies.
Delhi continues to be on its own financially.
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) February 1, 2019
अंतरिम बजट में वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने 2019-20 के लिए दिल्ली सरकार को केंद्रीय सहायता के तौर पर 472 करोड़ रुपये देने का प्रस्ताव दिया है. पिछले बजट में केंद्र ने कुल 790 करोड़ रुपये का आवंटन किया था. दिल्ली सरकार को दी गई केंद्रीय सहायता 499.99 करोड़ रुपये की थी. अंतरिम बजट में आम आदमी पार्टी सरकार को 10 करोड़ रुपये 1984 के दंगा पीड़ितों को बढ़ा हुआ मुआवजा देने के लिए भी दिये गये हैं. वित्त वर्ष 2018-19 के बजट में भी इतनी ही राशि दी गई थी.
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल केंद्रीय करों और शुल्कों में दिल्ली की हिस्सेदारी बढ़ाने की मांग करते रहे हैं. यहां तक कि अधिकारों को लेकर केंद्र और दिल्ली सरकार की लड़ाई पहले भी कई बार सड़कों पर आ चुकी है. केजरीवाल दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने समेत मुख्यमंत्री के अधिकार बढ़ाने की मांग भी दोहरा चुके हैं.
ममता ने लगाई फटकार
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी ने भी बजट को एक्सपाइयरी बताते हुए इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार को 5 साल का बजट पेश करने का कोई अधिकार नहीं है, क्योंकि ये सरकार सत्ता में रहने वाली है ही नहीं. उन्होंने कहा कि अगर एक्सपाइयरी के बाद आप दवा देते हैं तो इसका कोई मतलब नहीं है. ये पूरी तरह से बेअसर साबित होता है.