बीते 5 साल से डिजिटल इंडिया को बढ़ावा देने के लिए मोदी सरकार प्रयास कर रही है. सरकार के पहले कार्यकाल में नोटबंदी के फैसले को भी डिजिटल इंडिया मुहिम से जोड़ा गया. सरकार की ओर से कहा गया कि इसके जरिए कैशलेस इकोनॉमी को बढ़ावा मिलेगा. इसके बाद लोगों का रुझान ऑनलाइन ट्रांजेक्शन की ओर बढ़ा. हालांकि ऑनलाइन ट्रांजेक्शन के बढ़ने के साथ नेटवर्क कनेक्टिविटी और साइबर सुरक्षा जैसी चुनौतियां भी सामने आई हैं. ऐसी चुनौतियों से निपटने के लिए सरकार बजट में कुछ अहम ऐलान कर सकती है.
नोटबंदी गेमचेंजर साबित हुआ!
हाल ही में रिजर्व बैंक की 'बेंचमार्किंग इंडियाज पेमेंट सिस्टम्स' नाम से आई एक रिपोर्ट में बताया गया कि नोटबंदी के बाद देश में ई-मनी का प्रचलन बढ़ा था. रिपोर्ट के मुताबिक साल 2017 में 345.9 करोड़ ई-मनी लेन-देन के साथ भारत केवल जापान और अमेरिका से पीछे है. इस रिपोर्ट में नोटबंदी को ई-मनी के लिए 'गेमचेंजर' करार दिया गया है. रिपोर्ट में बताया गया कि जहां मध्यम से उच्च मूल्य वाले लेनदेन अभी भी डिजिटल बैंकिंग चैनल और चेकों के माध्यम से हो रहे हैं, वहीं, कम मूल्य के हर दिन के ट्रांजेक्शन ई-मनी से होने लगे हैं.
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लेकिन अब भी हैं चुनौतियां
ऑनलाइन ट्रांजेक्शन ने आम लोगों की लाइफ को जितना आसान किया है उससे कम मुश्किलें नहीं हैं. इसमें सबसे बड़ी मुश्किल साइबर सिक्योरिटी है. हालांकि आरबीआई की ओर से ग्राहकों की ऐसी समस्याओं से निपटने के लिए शिकायत प्रबंधन प्रणाली यानी कंप्लेंट मैनेजमेंट सिस्टम (CMS) तैयार किया गया है लेकिन अब भी ऑनलाइन ठगी एक बड़ी चुनौती है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के मुताबिक 2018-19 के दौरान 2,836 करोड़ रुपये की 6,735 बैंक फ्रॉड की घटनाएं हुईं हैं. इसके अलावा इंटरनेट और नेटवर्क कनेक्टिविटी के अलावा स्मार्टफोन की कमी भी एक बड़ी समस्या है. वहीं ऑनलाइन ट्रांजेक्शन पर लगने वाले चार्ज या लिमिट के नियमों की वजह से भी यूजर्स की परेशानी बढ़ जाती है.
RTGS और NEFT पर मिली है राहत
हालांकि हाल ही में ऑनलाइन ट्रांजेक्शन को बढ़ावा देने के लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने RTGS (रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट ऑनलाइन ट्रांजेक्शन) और NEFT (नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर) के तहत लगने वाले ट्रांजेक्शन चार्ज को हटा दिया है. RTGS का इस्तेमाल मुख्यत: बड़ी राशि को ट्रांसफर करने के लिए होता है. इसके तहत न्यूनतम 2 लाख रुपये भेजे जा सकते हैं और अधिकतम राशि भेजने की कोई सीमा नहीं है. वहीं NEFT के तहत फंड ट्रांसफर का सेटलमेंट एक निश्चित समय पर होता है. आसान भाषा में समझें तो आपने जो फंड ट्रांसफर किया है वह तुरंत नहीं पहुंचेगा. पैसे ट्रांसफर की यह प्रक्रिया कुछ समय बाद पूरी होती है.