लोकसभा चुनाव से पहले 1 फरवरी को मोदी सरकार अंतरिम बजट पेश करेगी. इस बजट में चुनावी वायदे भी हो सकते हैं. वहीं सरकार अपनी उन योजनाओं की उपलब्धियों का भी जिक्र कर सकती है. सरकार की तमाम योजनाओं में एक ‘डिजिटल इंडिया’है.
क्या है डिजिटल इंडिया
डिजिटल इंडिया का मकसद देश के कोने-कोने तक इंटरनेट के माध्यम से सर्विस पहुंचाना है. इसमें डिजिटल पेमेंट, ऑनलाइन ट्रांजेक्शन, ई-गवर्नेंस के तहत सभी सेवाओं को ऑनलाइन करने जैसी बातें शामिल हैं. मोदी सरकार ने इस योजना को 2014 में लॉन्च किया था. इसके तहत जनधन खातों और कैशलेस इकोनॉमी पर जोर दिया गया. प्रधानमंत्री जन धन योजना के तहत अब तक 33 करोड़ से ज्यादा लोगों को बैंकिंग सर्विसेज से जोड़ा गया है. वहीं कैशलेस इकोनॉमी में तेजी नोटबंदी के बाद आई. वित्त मंत्रालय की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक अक्टूबर 2016 में 108.7 लाख करोड़ रुपये के डिजिटल लेनदेन हुए थे. जबकि अगस्त 2018 में ये आंकड़ा 88 फीसदी बढ़कर 204.86 लाख करोड़ रुपये हो गया.
ऐप के जरिए ट्रांजेक्शन में बढ़ोतरी
नोटबंदी के बाद से ऐप के जरिए ट्रांजेक्शन में भी बढ़ोतरी हुई है. आंकड़ों के मुताबिक अक्टूबर 2016 में 48 करोड़ रुपये का ट्रांजेक्शन था. वहीं अक्टूबर 2018 में भीम और यूपीआई आधारित लेन-देन 74,978.2 करोड रुपये की रही.
फिर भी कैश है किंग
हालांकि सरकार के तमाम प्रयास के बावजूद कैशलेस इकोनॉमी को उम्मीद के मुताबिक सफलता नहीं मिली. आरबीआई के मुताबिक नवंबर, 2016 की रात को 17.01 लाख करोड़ कैश चलन में था. जबकि नवंबर, 2018 में यह आंकड़ा 18.76 लाख करोड़ रुपये रहा. इससे साफ जाहिर है कि कैश की डिमांड अभी भी कम नहीं हुई है और लोग आज भी कैश इस्तेमाल करना पसंद करते हैं.
2018 के बजट में 3 हजार करोड़ आवंटित
बीते साल भी डिजिटल इंडिया कार्यक्रम पर फोकस किया गया और बजट में धन राशि आवंटन को दोगुना करके 3073 करोड़ रुपये कर दिया गया. बजट के दौरान वित्त मंत्री ने कहा कि देश में सुपरफास्ट इंटरनेट लाने के लिए 5जी तकनीक का टेस्ट करेगी. इसके लिए चेन्नई में 5जी तकनीक का टेस्टिंग सेंटर खोलने का ऐलान किया गया. सरकार ने हर इलाके और सफर के दौरान भी लोगों को इंटरनेट से जोड़े रखने के लिए सभी ट्रेनों में वाई-फाई की सुविधा लाने की बात कही थी. इसके अलावा 5 करोड़ ग्रामीणों को नेट कनेक्टिविटी से जोड़ने के लिए सरकार 5 लाख वाई-फाई हॉट स्पॉट का निर्माण करने का ऐलान किया. इसके लिए 10,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया. वहीं भारत नेट योजना से 1 लाख ग्राम पंचायत जोड़ने की बात कही गई. इसमें ग्राम पंचायतों को पूरी तरह से ऑप्टिक फाइबर से जोड़ने का प्रस्ताव था.
डिजिटल इंडिया के ये भी हैं आंकड़े
देश में कुल 2.5 लाख ग्राम पंचायतों में भारतनेट नेट परियोजना के तहत अक्टूबर 2018 तक लगभग 50 फीसदी को हाई-स्पीड ओएफसी नेटवर्क के जरिए आपस में कनेक्ट कर दिया गया है. जबकि जून 2014 में यह आंकड़ा सिर्फ 59 ग्राम पंचायतों का ही था. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक पंचायतों को भी मार्च 2019 तक कनेक्ट करने की योजना है. वहीं मोबाइल इंटरनेट की खरीददारी जून 2018 तक दोगुनी से भी अधिक हो गई है. मार्च 2014 के 23.3 करोड़ से बढ़कर जून 2018 में 49.1 करोड़ के स्तर पर पहुंच गई.
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