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बजट: 5 साल में कितना डिजिटल हुआ इंडिया, क्या बजट में बदलेगी रणनीति?

आगामी 5 जुलाई के आम बजट में वित्‍त मंत्री निर्मला सीतारमण डिजिटल इंडिया को लेकर बड़े ऐलान कर सकती हैं.

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निर्मला सीतारमण (फोटो-इंडिया टुडे आर्काइव)
निर्मला सीतारमण (फोटो-इंडिया टुडे आर्काइव)

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मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला आम बजट 5 जुलाई को पेश होने वाला है. इस बजट में मोदी सरकार की ‘डिजिटल इंडिया’ योजना की सुस्‍त रफ्तार में तेजी लाने के प्रयास किए जाने की उम्‍मीद है. दरअसल, मोदी सरकार ने साल 2016 में नोटबंदी के ऐलान के बाद कैशलेस ट्रांजेक्‍शन पर जोर देना शुरू किया लेकिन उम्‍मीद के मुताबिक अब तक सफलता नहीं मिल सकी है.

ई-वॉलेट या डिजिटल पेमेंट मोड की ओर लोगों का रुझान बढ़ा है लेकिन कैश का चलन अब भी कम नहीं हुआ है. वित्‍त मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक अक्टूबर 2016 में 108.7 लाख करोड़ रुपये के डिजिटल लेनदेन हुए थे. जबकि अगस्त 2018 में ये आंकड़ा 88 फीसदी बढ़कर 204.86 लाख करोड़ रुपये हो गया. इसके अलावा ग्रामीण इलाकों से डिजिटल पेमेंट अब भी दूर है. हालांकि इंटरनेट सर्विस के मामले में स्थिति में सुधार जरूर हुआ है.

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अंतरिम बजट में क्‍या था?

बीते फरवरी महीने में अंतरिम बजट पेश करते हुए वित्‍त मंत्री पीयूष गोयल ने डिजिटल इंडिया की उपलब्‍धियों का जिक्र किया था. उन्‍होंने बताया कि पिछले 5 सालों के दौरान जन धन योजना के तहत 34 करोड़ नये बैंक खाते खोले गए. डिजिटल इंडिया के तहत आधार सार्वभौमिक रूप से लागू हुआ. इस वजह से गरीब तथा मध्‍यम वर्ग के लोगों को सरकारी योजनाओं का लाभ सीधे मिलने लगा और उनके बैंक खातों में बिचौलियों की भूमिका समाप्‍त हो गई.

इसके अलावा भारत अब दुनिया में मोबाइल डेटा का सर्वाधिक उपयोग करने वाला देश बन गया है. पीयूष गोयल के मुताबिक सरकार का मकसद अगले 5 सालों के दौरान 1 लाख गांवों को डिजिटल करना है. यह लक्ष्‍य जन सुविधा केन्द्रों (सीएससी) के विस्तार के जरिये हासिल करने की योजना है.

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क्‍या हैं उम्‍मीदें

बजट में डिजिटल इंडिया की सुस्‍त रफ्तार में गति लाने के लिए जरूरी कदम उठाए जा सकते हैं. इसके लिए अतिरिक्‍त बजट का आवंटन किया जा सकता है. इसके अलावा कैशलेस इकोनॉमी को बढ़ावा देने के लिए भी जरूरी कदम उठाए जाने की संभावना है.

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