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बजट 2019: सुपर-रिच पर कैसे असर डालेंगे टैक्स के दो नए प्रावधान?

करदाताओं को राहत देते हुए वित्त मंत्री ने 31 मार्च, 2020 तक 45 लाख रुपए तक के आवास की खरीद पर लिए कर्ज पर ब्याज भुगतान पर डेढ़ लाख रुपए की अतिरिक्त कटौती का प्रावधान किया.

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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पेश किया यूनियन बजट 2019 (फोटो- विक्रम शर्मा)
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पेश किया यूनियन बजट 2019 (फोटो- विक्रम शर्मा)

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“क्या सरकार को अमीरों पर जो मौजूदा कर लगाए जा रहे हैं, उन्हें और बढ़ाना चाहिए जिससे गरीबों को मदद बढ़ाई जा सके?” ये सवाल आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD)  के सर्वे में 21 देशों के प्रतिभागियों से पूछा गया तो उनमें से करीब 50% ने कहा- ‘हां’.

देश की नई वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण भी ऐसा मानती हैं. तभी उन्होंने अपने पहले बजट में  बहुत ज़्यादा अमीरों (सुपर रिच) पर 3 फीसदी का सेस लगाया.  

जिन अमीरों की दो करोड़ से पांच करोड़ कर योग्य आय है उन्हें 25%  सरचार्ज देना होगा. वहीं 5 करोड़ से ऊपर आय वालों को 37% सरचार्ज देना होगा. पहले जिनकी सालाना आय 1 करोड़ से ऊपर थी उन्हें 15% सरचार्ज देना होता था.

यहीं नहीं सुपर-रिच को कर की रकम पर 4% सेस अलग से देना होगा. सुपर-रिच के लिए दो करोड़ से पांच करोड़ रुपए की कर योग्य आय पर प्रभावी कर की दर 39% और पांच करोड़ से ऊपर कर योग्य आय वालों के लिए 42.75% होगी.

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super-rich-2_070519084310.pngसोर्स- बजट 2019

वित्त मंत्री ने बजट 2019 के लिए अपने भाषण में कहा, “आय स्तर बढ़ने के मद्देनज़र, जो सबसे ऊंचे आय वर्ग में हैं उन्हें देश के विकास के लिए ज्यादा योगदान करना चाहिए.”

मोदी 2.0 सरकार के लिए लोकसभा में पहला बजट पेश करते हुए निर्मला सीतारमण ने 5 लाख रुपए की करयोग्य आय वालों को कर में पूरी छूट दिए जाने को दोहराया.

super-rich_070519084241.pngसोर्स- बजट 2019

वित्त मंत्री ने कहा, “जिनकी सालाना आय 5 लाख रुपए तक है, उन्हें कोई आय कर नहीं देना है.”  वित्त मंत्री के मुताबिक इस वर्ग में स्व-रोजगार वालों से लेकर छोटे कारोबारी, नौकरीपेशा और वरिष्ठ नागरिक आते हैं.  

करदाताओं को राहत देते हुए वित्त मंत्री ने 31 मार्च, 2020 तक 45 लाख रुपए तक के आवास की खरीद पर लिए कर्ज पर ब्याज भुगतान पर डेढ़ लाख रुपए की अतिरिक्त कटौती का प्रावधान किया.  

हालांकि पिछले पांच वित्त वर्षों में कर का संग्रह 78% से ज्यादा यानि 6.38 लाख करोड़ से बढ़कर करीब 11.37 लाख करोड़ हो गया. 

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