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पचास हजार रुपये महीने की कमाई पर कितना टैक्स वसूलती है मोदी सरकार?

वित्त मंत्री ने पिछले साल वित्त वर्ष 2020-21 का बजट पेश करते हुए टैक्सपेयर्स को दो तरह का विकल्प चुनने की आजादी दी. एक नया टैक्स स्लैब बना दिया गया और कहा गया कि टैक्सपेयर नया या पुराना कोई भी टैक्स स्लैब चुन सकते हैं.

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इनकम टैक्स के दो विकल्प दिए गए हैं
इनकम टैक्स के दो विकल्प दिए गए हैं
स्टोरी हाइलाइट्स
  • पिछले साल बदला था टैक्स स्लैब
  • टैक्सपेयर्स को दो विकल्प मिले थे
  • इस बजट में भी राहत की उम्मीद

पिछले साल के बजट में इनकम टैक्स की व्यवस्था में बड़ा बदलाव किया गया था. टैक्सपेयर्स को दो तरह के टैक्स स्लैब का विकल्प दिया गया था. आइए जानते हैं कि इसके मुताबिक 50 हजार रुपये तक की मंथली इनकम वाले व्यक्ति का कितना टैक्स लगता है?  

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टैक्स स्लैब में क्या हुआ है बदलाव 

वित्त मंत्री ने पिछले साल वित्त वर्ष 2020-21 का बजट पेश करते हुए टैक्सपेयर्स को दो तरह का विकल्प चुनने की आजादी दी. एक नया टैक्स स्लैब बना दिया गया और कहा गया कि टैक्सपेयर नया या पुराना कोई भी टैक्स स्लैब चुन सकते हैं. अगर कोई नया टैक्स स्लैब चुनता है तो उसे बहुत से डिडक्शन का लाभ नहीं मिलेगा. पुराने स्लैब चुनने वाले को इस तरह का लाभ मिलता रहेगा. 

पुराने टैक्स स्लैब में 2.5 लाख रुपये तक की आय पूरी तरह से कर मुक्त है. इसके बाद 2.5 से 5 लाख रुपये तक की आय पर 5 फीसदी का टैक्स लगता है, लेकिन इसके बदले सरकार 12,500 रुपये का रीबेट देती है जिससे यह शून्य हो जाता है. यानी 5 लाख तक की आय पर कोई टैक्स नहीं लगता. 

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6 लाख सालाना इनकम पर टैक्स 

अब आइए 6 लाख सालाना या 50 हजार महीने की आमदनी पर टैक्स का कैलकुलेशन करते हैं. सबसे पहले पुराने टैक्स स्लैब के हिसाब से देखते हैं.

टैक्स मामलों के जानकार और गिरी ऐंड कंपनी के प्रोपराइटर अमरनाथ गिरी बताते हैं, 'अगर किसी की मंथली इनकम 50 हजार महीने है और उसने पुराने टैक्स स्लैब को चुना है, उसकी सिर्फ सैलरी से आमदनी है तो उसका कोई टैक्स नहीं लगेगा, बशर्ते उसने तमाम डिडक्शन का फायदा उठाया हो. धारा 80सी के तहत ही 1.5 लाख रुपये तक के डिडक्शन का फायदा मिल जाता है और लोग ऐसे डिडक्शन का फायदा उठाते ही हैं. इसके अलावा वेतनभोगी लोगों को अभी 50 हजार रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन भी मिलता है. इस तरह 6 लाख सालाना आमदनी वाले व्यक्ति की आमदनी आसानी से 5 लाख से नीचे आ जाती है और उसे 12,500 के रीबेट का भी फायदा मिलता है, जिसकी वजह से उसे कोई टैक्स नहीं देना होता.' 

दूसरी तरफ यदि इतनी ही इनकम वाले व्यक्ति ने नए टैक्स स्लैब को चुना है तो उसे करीब 23,400 रुपये का टैक्स देना पड़ेगा, क्योंकि उसे डिडक्शन का फायदा नहीं मिलेगा. नए टैक्स स्लैब के मुताबिक 6 लाख रुपये की सालाना इनकम पर इस तरह से टैक्स लगेगा- 1 लाख रुपये पर 10 फीसदी की दर से टैक्स यानी 10 हजार, फिर 2.5 लाख रुपये पर 5 फीसदी के हिसाब से टैक्स यानी 12,500 रुपये और फिर अगले ढाई लाख पर शून्य टैक्स. इस पर करीब 4 फीसदी का सेस लगेगा. इस तरह उसे करीब 23,400 रुपये टैक्स के रूप में देने पड़ जाएंगे.इसीलिए जानकार कहते हैं कि नई स्कीम सालाना 13 लाख रुपये से कम सैलरी वालों के लिए फायदेमंद नहीं है. 

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नई टैक्स व्यवस्था में क्या-क्या डिडक्शन बचे हैं? 

नए टैक्स स्लैब की सबसे बड़ी बात यह है कि इसमें ज्यादातर डिडक्शन खत्म कर दिए गए हैं. खत्म किए गए करीब 70 डिडक्शन ऐसे हैं जिनमें निवेश कर ज्यादातर लोग टैक्स का लाभ उठाते रहे हैं. इनमें सेक्शन 80 सी, 80 डी के तहत मिलने वाले सभी डिडक्शन शामिल हैं. इसमें अगर महत्वपूर्ण मद की बात करें तो सिर्फ न्यू पेंशन योजना (NPS) में एम्प्लॉयर द्वारा किया जाने वाला निवेश ही बचा है.

सरकार कुल मिलाकर सौ से ज्यादा रियायतें देती है. लेकिन नई टैक्स स्लैब का लाभ लेने पर आपको टैक्स में मिलने वाली करीब 70 रियायतों को छोड़ना पड़ेगा. इनमें यात्रा भत्ता (एलटीए), मकान का किराया (एचआरए), मनोरंजन भत्ता, सैलरीड क्लास को मिलने वाला 50,000 रुपये तक का स्टैंडर्ड डिडक्शन भी शामिल है.
आसान शब्दों में कहें तो 80C के तहत मिलने वाले बीमा, PPF, NSC, यूलिप, ट्यूशन फीस, म्यूचुअल फंड ELSS, पेंशन फंड, होम लोन के मूलधन, बैंकों में टर्म डिपॉजिट, पोस्ट ऑफिस में 5 साल के डिपॉजिट और सुकन्या समृद्धि योजना में निवेश करके जो टैक्स छूट का फायदा लेते थे, वह नई टैक्स दरों पर नहीं मिलेगी. इसके अलावा 80D के तहत हेल्थ इंश्योरेंस पर भी टैक्स छूट छोड़नी होगी.

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