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कोरोना में खेती का मिला साथ, क्या अबकी बार बजट में होगी गांव की बात?

देश में किसान आंदोलन के चलते कृषि सेक्टर पर हर किसी की पैनी नजर है. कोरोना काल में जिस तरह से इकोनॉमी को थामने में कृषि ने बड़ा रोल निभाया था, उसे देखते हुए भी ये सेक्टर इस बार के बजट में बड़ी रियायतों का हकदार है.

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बजट से किसानों को खासी उम्मीदें
बजट से किसानों को खासी उम्मीदें
स्टोरी हाइलाइट्स
  • किसानों की आय दोगुनी करना सरकार का लक्ष्य
  • फिलहाल कृषि की सालाना विकास दर महज 2.9 फीसदी
  • कोरोना काल में फूड इंडस्ट्री भी काफी संकट में

देश में किसान आंदोलन के चलते कृषि सेक्टर पर हर किसी की पैनी नजर है. कोरोना काल मे जिस तरह से इकोनॉमी को थामने में कृषि ने बड़ा रोल निभाया था उसे देखते हुए भी ये सेक्टर इस बार के बजट में बड़ी रियायतों का हकदार है. उम्मीद की जा रही है कि किसानों की आय दोगुनी करने से जुड़े कुछ ठोस एलान बजट में किए जा सकते हैं. 

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किसानों की आय दोगुनी करने का 2022 तक का वादा सरकार कई बार दोहरा चुकी है. वादे के मुताबिक तो इस बार के बजट में ये टारगेट हासिल करने का आखिरी मौका है. लेकिन इस लक्ष्य के ऐलान से अबतक भी किसानों की आमदनी में खास तेजी नहीं आई है.

 दरअसल, मनमोहन सरकार में किसानों की मासिक आमदनी 6426 रुपये थी, मोदी सरकार में ये आंकड़ा बढ़कर 8931 रुपये हो गया. यानी बीते 6 साल में किसानों की आमदनी महज 2 हजार 505 रुपये बढ़ी है. 

वहीं किसानों की आय 2022-23 तक दोगुनी करने के लिए कृषि की विकास दर को लक्ष्य तय करते वक्त से हासिल करने तक 10 फीसदी होना चाहिए था. जबकि कृषि की सालाना विकास दर महज 2.9 फीसदी है. अब टारगेट हासिल करने के लिए कृषि की विकास दर 15 फीसदी से भी ज्यादा करने की जरुरत है जो एक बेहद मुश्किल काम है.

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लेकिन इस मुश्किल काम को आसान बनाने की हर तरकीब सरकार को सोचनी होगी और बजट इसका एक बेहतरीन मौका साबित हो सकता है. वैसे भी जिस तरह से देश की अर्थव्यवस्था को कोरोना काल में कृषि ने मदद पहुंचाई है उसे देखते हुए सरकार इसकी अनदेखी कर भी नहीं सकती. 

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देश की 70 फीसदी आबादी के गुजर बसर के इस जरिये ने ही लॉकडाउन में भी लोगों को लाचार नहीं होने दिया था. ऐसे में कृषि सेक्टर को बजट से ऐसे एलानों की उम्मीद है कि जिससे कृषि की विकास दर को नई ऊंचाई पर ले जाने का रास्ता खुल जाए.

ये काम इसलिए और भी जरूरी हो जाता है क्योंकि विपरीत परिस्थतियों के बावजूद किसानों ने उपज बढ़ाने में लगातार कामयाबी हासिल की है. 2017-18 और 2018-19 में करीब 2,850 लाख टन कृषि पैदावार थी. 2019-20 में कृषि पैदावार 4 फीसदी बढ़कर 2,967 लाख टन हो गई. यानी 2 साल में अनाज, दलहन और तिलहन की पैदावार 117 लाख टन बढ़ी है. 

सब्जियों और फलों की पैदावार भी 2017-18 से 2019-20 के बीच 2 साल में 2.81 फीसदी बढ़ी है यानी 93 लाख टन की बढ़ोतरी. 2018-19 के मुकाबले तो ये 3 परसेंट ज्यादा बढ़ गई है यानी 87.58 लाख टन का इजाफा. 

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लेकिन समस्या यही है कि अब कैसे इस उपज का सही भंडारण हो और इसकी सही कीमत किसान तक पहुंच सके. जानकारों का मानना है कि इस बार के बजट में इस पर अगर सरकार कोई ऐलान करती है तो फिर वाकई किसानों के लिए सबसे बड़ी राहत होगी.

अगर सरकार ने कृषि को मदद देने में सफलता हासिल की तो फिर फूड इंडस्ट्री को भी इससे काफी राहत मिलेगी. देश की 2 लाख करोड़ की फूड इंडस्ट्री भी कोरोना काल में काफी संकट में आ गई है. अगर फूड इंडस्ट्री की इन मांगों पर इस बार सुनवाई हो जाती है तो फिर खेत में फसल से लेकर थाली में भोजन तक मुहैया कराने वाले हर सेक्टर की तकलीफ दूर हो सकती है. 

 

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