कोरोना संकट ने पिछले साल देश में बेरोजगाारी को रिकॉर्ड स्तर तक बढ़ा दिया. करोड़ों लोग बेरोजगार हो गए. इकोनॉमी के पटरी पर लौटने से जॉब मार्केट भी सुधर रहा है, लेकिन अभी हालात पूरी तरह से नहीं बदले हैं. ऐसे में बजट से बेरोजगारों को काफी उम्मीद है कि सरकार कुछ अनूठे प्लान लेकर आएगी.
साल 2020 रोजगार के हिसाब से भारतीय इतिहास के सबसे बुरे वर्षों में से रहा है. मार्च में लॉकडाउन लगने के बाद इकोनॉमी पूरी तरह से ठप हो गई और सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इकोनॉमी (CMIE) के अनुसार करीब 11.3 करोड़ लोग बेरोजगार हो गए. इसके बाद अप्रैल में भी बहुत सुधार नहीं हो पाया, लेकिन मई में नौकरियों में करीब 3.1 करोड़ की बढ़त हुई.
इसके बाद से नौकरियों की संख्या बढ़ती गई है. हालांकि यह अभी कोरोना पूर्व वाले दौर में नहीं पहुंच पाया है. कोरोना से पहले फरवरी 2020 में देश में 40.5 करोड़ रजिस्टर्ड कामगार थे.
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करीब 4 करोड़ बेरोजगार
सीएमआईई के मुताबिक दिसंबर,2020 में बेरोजगारी 9 फीसदी की ऊंचाई पर रही है, जो जून के बाद छह महीने की सर्वाधिक ऊंचाई है. इसका मतलब यह है कि करीब 3.8 करोड़ लोगों के पास अब भी नौकरी नहीं है.
बड़े पैमाने पर आर्थिक संकट और बेरोजगारी को देखते हुए सरकार और रिजर्व बैंक ने मिलकर कुल करीब 30 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज का ऐलान किया था.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने नवंबर में आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना का ऐलान किया था. इसके तहत 1 अक्टूबर के बाद रोजगार देने पर कंपनियों को सब्सिडी देने का ऐलान किया गया था.
क्या हो सकता है बजट में
लेकिन जानकारों का कहना है कि ऐसे तात्कालिक उपाय बहुत कारगर नहीं हो सकते, इसलिए सरकार को इस बजट में भी रोजगार बढ़ाने के लिए कुछ ठोस उपाय करने होंगे. कई जानकारों का कहना है कि सरकार शिक्षा, स्वास्थ्य और हॉस्पिटैलिटी सेक्टर में युवाओं को री-स्किल करने के लिए कई उपायों की घोषणा कर सकती है, ताकि बेरोजगारी कम हो.
एक्सपर्ट का कहना है कि नौकरियों में बढ़त के लिए टैक्स में कटौती और कुछ विशेष सेक्टर को प्रोत्साहन के अलावा दीर्घकालिक समाधान के लिए री-स्किलिंग, डिजिटाइजेशन में पहुंच बढ़ाने, छोटे एवं मध्यम उद्यमों को आगे बढ़ाने जैसे उपाय किए जा सकते हैं.
(www.businesstoday.in के इनपुट पर आधारित)