नरेंद्र मोदी सरकार ने वित्त वर्ष 2022-23 में पूंजीगत व्यय (Capital Expenditure) में 35 फीसदी की भारी वृद्धि की है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को वित्त वर्ष 2022-23 का केंद्रीय बजट (Union Budget 2022-23) पेश करते हुए Capex को बढ़ाकर 7.5 लाख करोड़ रुपये करने की घोषणा की. उन्होंने बताया कि यह कुल जीडीपी (GDP) का 2.9 फीसदी होगा.
पिछले साल हुई थी यह घोषणा
वित्त मंत्री ने 2021-22 के बजट में पूंजीगत व्यय (Capital Expenditure) से जुड़े लक्ष्य को बढ़ाकर 5.54 लाख करोड़ रुपये कर दिया था. इस तरह देखा जाए तो फाइनेंशियल ईयर 2019-20 से लेकर अब तक कैपेक्स में काफी अधिक इजाफा किया गया है.
क्या होता है पूंजीगत व्यय (What is Capital Expenditure)
सरकार के खर्चे दो हिस्से में बंटे होते हैं. इन्हें पूंजीगत व्यय (Capital Expenditure) और राजस्व व्यय (Revenue Expenditure) में बांटा जाता है. सरकार के एसेट्स में इजाफा करने वाले खर्च को पूंजीगत व्यय माना जाता है. दूसरी ओर, राजस्व व्यय में ऐसे खर्चों को रखा जाता है, जिनसे न सरकार की उत्पादन क्षमता बढ़ती है और न ही आय. इनमें कर्मचारियों के वेतन और पेंशन आते हैं.
यह रहा राजकोषीय घाटे का टार्गेट
केंद्र सरकार ने अगले वित्त वर्ष (2022-23) में राजकोषीय घाटे को 6.4 फीसदी पर सीमित करने का लक्ष्य रखा है. इसके साथ ही वित्त वर्ष 2021-22 के Fiscal Deficit के टार्गेट में भी संशोधन किया है.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को वित्त वर्ष 2022-23 का बजट पेश करते हुए इसकी घोषणा की. नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार राजकोषीय घाटे को लेकर हमेशा से सतर्क रुख अपनाती रही है.