पूर्व केंद्रीय मंत्री जयंत सिन्हा ने शनिवार को कहा कि निजी तौर पर उनका मानना है कि अब समय आ चुका है जब दुनियाभर में क्रिप्टोकरेंसी को लेकर एक सहमति बननी चाहिए कि इसे एक लीगल टेंडर माना जाए या फिर एसेट क्लास की तरह देखा जाए. उन्होंने बजट 2022 (Budget 2022) को लेकर Business Today के खास कार्यक्रम 'BT Conclave' में ये बातें कहीं.
सिन्हा ने कहीं ये बातें
जयंत सिन्हा भाजपा नेता हैं और हजारीबाग से सांसद हैं. 'BT Conclave' में क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) को लेकर किए गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, "मैं स्पष्ट करना चाहूंगा कि मैं सरकार की नुमाइंदगी नहीं करता हूं....इससे जुड़े बिल को संसद में कब पेश किया जाएगा, यह सरकार को तय करना है."
विभिन्न पहलुओं को लेकर बने सहमति
उन्होंने अपना निजी मत रखते हुए कहा, "मेरे ख्याल से यह काफी अहम है कि इस स्टेज में इस बात को लेकर एक तरह की वैश्विक सहमति बननी चाहिए कि किप्टो एसेट या क्रिप्टो टोकन को किस तरह से Consider किया जाना चाहिए. भारत में एक अलग तरह की चुनौती है जैसे कि हमारे यहां कैपिटल कंट्रोल है जबकि कई अन्य हिस्सों में ऐसा नहीं है. ऐसे में हमें इंतजार करना चाहिए कि दुनिया में इसको लेकर किस तरह की सहमति बनती है. "
उन्होंने कहा है कि सिंगापुर, जापान और ब्रिटेन ने इसको लेकर नीतियां बनाई हैं जिसके मुताबिक इन्हें एसेट माना जा रहा है. हालांकि, अमेरिका ने इस बारे में अब तक फैसला नहीं किया है. विभिन्न मंचों के जरिए इसको लेकर वैश्विक तौर पर एक समझ विकसित किए जाने की जरूरत है.
बिल आने पर देखेगी स्टैंडिंग कमिटी
सिन्हा फाइनेंस मामलों की स्टैंडिंग कमिटी के अध्यक्ष भी हैं. उन्होंने स्टैंडिंग कमिटी के नजरिए को लेकर कहा कि एक बार जब सरकार इससे जुड़े बिल को संसद में पेश करेगी तो कमिटी के सदस्य इसको लेकर अपनी राय रख पाएंगे.
बहुत काम करने की जरूरत
उन्होंने कहा कि क्रिप्टो करेंसी के डिसेंट्रलाइजेशन की वजह से यह देखने की जरूरत होगी कि कैपिटल फ्लो को किस तरह से मैनेज किया जाए. उन्होंने कहा कि तमाम तकनीकी पहुलओं को ध्यान में रखकर ही भारत इससे संबंधित रेगुलेटरी फ्रेमवर्क तैयार कर सकता है. उन्होंने इनोवेशन और रेगुलेशन के बीच बैलेंस बनाए जाने पर जोर दिया.
क्रिप्टो को एसेट क्लास में रखना चाहिए
निजी तौर पर मेरा मानना है कि इसे व्यवहारिक तौर पर और अच्छे तरीके से रेगुलेट करके एसेट क्लास के रूप में रखना चाहिए. मेरे ख्याल से ऐसा करना संभव है लेकिन भारत को तकनीकी पहलुओं को लेकर कई अनूठे कदम उठाने होंगे और इस तरह से हम अपने कैपिटल कंट्रोल को बनाए रख पाएंगे.