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Budget 2023: बजट छापने वालों को अस्पताल जाने की भी इजाजत नहीं, डॉक्टर की टीम भी मंत्रालय में कैद!

Budget 2023: बजट 2023-24 को पेश करने की तैयारियां जोरों पर हैं. बजट बेहद ही गोपनीय दस्तावेज होता है और इसे तैयार करने के दौरान इससे जुड़ी अधिकारियों की टीम आखिरी के 10 दिन पूरी दुनिया से कटी रहती है. किसी भी मेडिकल इमरजेंसी की स्थिति से निपटने के लिए डॉक्टरों की पूरी टीम मंत्रालय में ही मौजूद रहती है.

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बजट तैयार करने के दौरान पहरे में रहते हैं अधिकारी-्कर्मचारी
बजट तैयार करने के दौरान पहरे में रहते हैं अधिकारी-्कर्मचारी

देश का आम बजट 2023 (Budget-2023) पेश होने में अब कुछ ही समय बाकी है. निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) वित्त मंत्री के रूप में एक फरवरी को लगातार पांचवां केंद्रीय बजट (Union Budget) पेश करेंगी. अगले साल आम चुनाव से पहले मोदी 2.0 सरकार का यह आखिरी पूर्ण बजट होगा. निर्मला सीतारमण ऐसे समय में बजट पेश करेंगी, जब वैश्विक आर्थिक गतिविधि व्यापक रूप से स्लोडाउन का सामना कर रही है. इस बीच आपको बजट से जुड़ी एक खास बात बताते हैं. दरअसल, देश का वही-खाता तैयार करने के दौरन इस काम में जुटे अधिकारी करीब 10 दिन कैद में रहते हैं. उन्हें मंत्रालय से बाहर, यहां तक कि अपने घर जाने की इजाजत भी नहीं होती. 

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घर जाने तक की नहीं होती इजाजत
बेहद गोपनीय बजट दस्तावेज (Budget Document) तैयार करने के दौरान इसमें शामिल अधिकारी और कर्मचारी अपने घर या फिर करें पूरी दुनिया से 10 दिनों तक कटे रहते हैं. बजट तैयार होने के दौरान Finance Minister के बेहद वरिष्ठ और भरोसेमंद अधिकारियों को ही घर जाने की इजाजत दी जाती है. जब तक बजट पेश नहीं हो जाता तब तक इसे तैयार करने की प्रक्रिया से जुड़े लोगों की सुरक्षा के मद्देनजर व्यवस्था चाक-चौबंद होती है. किसी भी बाहरी व्यक्ति का प्रवेश वित्त मंत्रालय (Finance Ministry) में नहीं हो सकता. न केवल बजट दस्तावेज को तैयार करने वाली टीम, बल्कि इसकी छपाई से जुड़े अधिकारी व कर्मचारियों को भी बाहर आने या फिर अपने सहयोगियों से मिलने की मनाही होती है. 

मोबाइल नेटवर्क भी नहीं करता काम
Budget तैयार करने की प्रक्रिया शुरू होने से लेकर संसद में इसके पेश होने तक वित्त मंत्रालय में खुफिया विभाग से लेकर के साइबर सिक्योरिटी सेल सबका पहरा रहता है. इन दिनों में मंत्रालय के अंदर कोई भी मोबाइल नेटवर्क (Mobile Ministry) काम नहीं करता है. केवल लैंडलाइन फोन के जरिए ही बातचीत हो पाती है. दरअसल, यह चाक चौबंद सुरक्षा व्यवस्था इसलिए होती है, ताकि देश की वित्तीय सेहत से जुड़ी कोई भी छोटी-बड़ी जानकारी लीक न हो सके. यही कारण है कि इस महत्वपूर्ण काम में सभी अधिकारी-कर्मचारियों को कड़ी निगरानी के बीच बाहरी दुनिया से दूर रखे जाते हैं. 

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डॉक्टरों की टीम रहती है तैनात  
वित्त मंत्रालय (Finance Ministry) में इन 10 दिनों के लिए डॉक्टरों की एक टीम (Doctor's Team) सभी जरूरी सुविधाओं के लैस होकर तैनात रहती है. ऐसा इसलिए ताकि किसी भी कर्मचारी के बीमार पड़ने पर उसे वहीं पर मेडिकल सुविधाएं उपलब्ध कराई जा सकें. बीमार कर्मचारी को भी 10 दिनों के लिए अस्पताल में इलाज कराने की मनाही होती है. यह इस बात का उदाहरण है कि देश का बजट तैयार करना आसान बात नहीं, बल्कि हर बारीकियों पर बेहद सतर्कता के साथ निगरानी की जाती है, ताकि देश के बजट से जुड़ी जानकारियों पूरी तरह से गोपनीय रहें.

Internate पर भी रहती है पाबंदी 
बजट तैयार होने के दौरान आखिरी के 10 दिनों में इंटरनेट के इस्तेमाल पर भी पाबंदी रहती है. जिन कंप्यूटरों पर बजट डॉक्यूमेंट मौजूद होता है, उनसे इंटरनेट और एनआईसी के सर्वर को डिलिंक कर दिया जाता है. इससे किसी भी प्रकार की हैकिंग का डर नहीं रहता है. इन कंप्यूटरों को केवल प्रिंटर और छपाई मशीन से कनेक्ट करके रखा जाता है. वित्त मंत्रालय के जिस हिस्से में प्रिंटिंग प्रेस स्थित है, वहां चुनिंदा सीनियर लेवल के अधिकारियों को ही जाने की इजाजत होती है.

 

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