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अचानक मोदी सरकार ने लिया था ये फैसला, फिर लग गया 92 साल पुराने नियम पर ब्रेक!

मोदी सरकार ने अपने कार्यकाल में बजट से जुड़ी कई पुरानी परंपराओं में बदलाव किया है, जिसमें रेल बजट भी शामिल है. साल 2017 से पहले भारतीय रेलवे (Indian Railways) के लिए अलग से रेल बजट (Rail Budget) पेश किया जाता था.

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Nirmala Sitharaman
Nirmala Sitharaman

पिछले दो दशक में बजट को लेकर कई बदलाव हुए हैं. अब एक बार फिर निर्मला सीतारमण आज संसद में बजट पेश करेंगी. पूरा देश बेसब्री से बजट का इंतजार कर रहा है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) एक फरवरी 2025 को संसद में सुबह 11 बजे देश का बही-खाता जनता के सामने पेश करेंगी. 

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अगर बजट के इतिहास को देखें तो इसमें काफी बदलाव हुआ है. मोदी सरकार के कार्यकाल के दौरान भी कई परंपराओं पर ब्रेक लगा है. 

2017 से बदली रेल बजट की परंपरा
आम बजट में रक्षा, शिक्षा और स्वास्थ्य के साथ ही भारतीय रेलवे से जुड़ी महत्वपूर्ण घोषणाएं भी की जाएंगी. बता दें, मोदी सरकार ने अपने कार्यकाल में बजट से जुड़ी कई पुरानी परंपराओं में बदलाव किया है, जिसमें रेल बजट भी शामिल है. साल 2017 से पहले भारतीय रेलवे (Indian Railways) के लिए अलग से रेल बजट (Rail Budget) पेश किया जाता था.

आम बजट से पहले पेश होता था रेल बजट
देश के रेल बजट को अलग से पेश करने की परंपरा नई नहीं थी, बल्कि आजादी के पहले से चली आ रही थी. देश में रेल के लिए अलग बजट का सिलसिला साल 1924 से जारी था. इस आम बजट पेश होने के एक दिन पहले पेश किया जाता था, लेकिन जब केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार आई तो Rail Budget की परंपरा को भी साल 2016 में बदलने का काम किया गया. नरेंद्र मोदी सरकार ने देश के आम बजट में रेल बजट को मिलाकर पेश करने का ऐलान किया और 2017 से ये एक साथ पेश किया जाने लगा. 

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92 साल पुराने नियम पर ब्रेक
नरेंद्र मोदी सरकार (Narendra Modi Govt) ने 92 साल से चली आ रही इस परंपरा तो खत्म करते हुए आम बजट (Union Budget) और रेल बजट (Rail Budget) को एक साथ पेश करना शुरू कर दिया और अब तक ये कायम है. मोदी सरकार में तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली (Arun Jetaly) ने रेल बजट को आम बजट के साथ ही पेश करने का काम सबसे पहले किया था. 

नीति आयोग की सलाह पर अमल
नीति आयोग ने भी सरकार को दशकों पुराने इस चलन को खत्म करने की सलाह दी थी. काफी विचार-विमर्श और अलग-अलग अथॉरिटीज के साथ मंथन के बाद सरकार ने रेलवे बजट को आम बजट में मिलाने का फैसला किया. इसके बाद से ही ब्रिटिश शासन काल में 1924 से जारी रेल बजट से जुड़ी परंपरा बदल गई.

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