भारत के बजट से जुड़े कई किस्से रहे हैं. ऐसा ही एक दिलचस्प किस्सा 1946 से जुड़ा है, जब पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री लियाकत अली खान ने भारत का पहला बजट पेश किया था. तब भारत और पाकिस्तान एक ही हुआ करते थे. इसे भारत का पहला बजट भी कहा जाता है, जिसे उस समय के वित्त मंत्री लियाकत अली खान ने पेश किया था. इस बजट की सबसे बड़ी खास बात थी कि इसने अमीरों पर ज्यादा टैक्स लगाए थे और गरीबों को राहत दी थी.
यह दिलचस्प ऐतिहासिक तथ्य 2 फरवरी 1946 का है, जब लियाकत अली खान ने भारत के तत्कालीन लेजिस्लेटिव असेंबली भवन (संसद भवन) में बजट पेश किया था. उन्होंने यह बजट अंतरिम सरकार के वित्त मंत्री के रूप में पेश किया था, जो पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में बनी थी. लियाकत अली खान ऑल इंडिया मुस्लिम लीग के सीनियर लीडर और मोहम्मद अली जिन्ना के करीबी माने जाते थे. आजादी से पहले इन्होंने भारत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.
लियाकत अली खान उत्तर प्रदेश के मेरठ और मुजफ्फरनगर से चुनाव लड़ते थे और मुस्लिम लीग के नुमाइंदे के रूप में अंतरिम सरकार का हिस्सा बने. पंडित नेहरू ने उन्हें वित्त मंत्रालय का प्रभार दिया था.
क्यों कहा जाता है इसे पुअर मैन बजट
लियाकत अली खान ने जब ये बजट पेश किया था तो इसे 'पुअर मैन बजट' नाम दिया गया. क्योंकि यह बजट अमीर और कॉर्पोरेट के व्यक्तियों पर ज्यादा टैक्स लगाने का प्रस्ताव लेकर आया था. वहीं गरीबों को राहत दी गई थी. हालांकि हैवी टैक्स प्रपोजल ने उद्योग जगत की नाराजगी को जन्म दिये. लियाकत अली खान पर गंभीर आरोप लगे कि उन्होंने टैक्स सिस्टम को ऐसा बनाया, जिससे बड़े व्यापारिक घरानों को नुकसान हुआ.
पुअर मैन बजट के तहत क्या-क्या था?
क्यों शुरू हुआ विवाद?
पुअर मैन बजट का असर ऐसा हुआ कि इससे गरीबों में खुशी बढ़ गई, लेकिन इससे अमीर व्यक्ति नाराज हुए. उन्हें लगा कि सरकार उनसे ज्यादा टैक्स वसूल रही है. इस बजट पर राजनीतिक विवाद भी हुआ था. कुछ लोगों ने इसे गरीबों का बजट कहा, तो कुछ लोगों ने इसे अमीरों के खिलाफ बताया.
गौरतलब है कि देश के विभाजन और जिन्ना की मौत के बाद लियाकत अली खान पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री भी बने और वहां के सबसे बड़े नेता के तौर पर उभरे. 1951 में रावलपिंडीमें एक सभा को संबोधित करते समय उनकी हत्या कर दी गई.