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बजट 2019: घाटे में चल रही कंपनियों से लाखों की नौकरी पर संकट, कैसे बचाएगी सरकार?

पिछले पांच साल में घाटे वाली कंपनियों की लिस्ट लगातार बढ़ती गई है. इन सबकी वजह से लाखों कर्मचारियों के बेरोजगार हो जाने का संकट है. इन कर्मचारियों के लिए सरकार क्या करेगी? क्या वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ऐसे कर्मचारियों के लिए किसी योजना या राहत पैकेज की घोषणा करेंगी?

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घाटे वाली सरकारी कंपनियों के कर्मचारियों को बजट से राहत की उम्मीद (फाइल फोटो: इंडिया टुडे)
घाटे वाली सरकारी कंपनियों के कर्मचारियों को बजट से राहत की उम्मीद (फाइल फोटो: इंडिया टुडे)

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पिछले पांच साल में घाटे वाली कंपनियों की लिस्ट लगातार बढ़ती गई है. केंद्र सरकार ने घाटे में चल रही 19 सरकारी कंपनियों को बंद करने का फैसला लिया है. दो बड़ी सरकारी कंपनियों BSNL और एयर इंडिया की हालत बेहद खस्ता है और इन्हें कभी भी बंद किया या बेचा जा सकता है. इन सबकी वजह से लाखों कर्मचारियों के बेरोजगार हो जाने का संकट है. इन कर्मचारियों के लिए सरकार क्या करेगी? क्या वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ऐसे कर्मचारियों के लिए किसी योजना या राहत पैकेज की घोषणा करेंगी? इसके लिए सबकी नजरें 5 जुलाई शु्क्रवार को पेश होने वाले बजट पर है.

इन सरकारी कंपनियों को बंद करने का फैसला

हाल में मोदी सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र की 15 से ज्यादा कंपनियों को बंद करने की मंजूरी दी है. ये सभी कंपनियां घाटे में चल रही हैं. सार्वजनिक उपक्रमों पर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की कुछ साल पहले आई एक रिपोर्ट के अनुसार साल 2016-17 में ही इन कंपनियों को 30 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का घाटा हुआ. संसद में भारी उद्योग और लोक उद्यम मंत्रालय के मंत्री अरविंद गणपत सांवत ने हाल में बताया कि भारी उद्योग विभाग तुंगभद्रा स्टील प्रोडक्ट्स लिमिटेड, एचएमटी वॉचेज लिमिटेड, एचएमटी चिनार वॉचेज लिमिटेड, एचएमटी बियरिंग्स लिमिटेड, हिंदुस्तान केबल्स लिमिटेड, एचएमटी लिमिटेड की ट्रैक्टर यूनिट और इंस्ट्रूमेंटेशन लिमिटेड की कोटा यूनिट जैसी 19 कंपनियों को बंद करने की मंजूरी सरकार की ओर से दे दी गई है. 

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इसके अलावा जहाजरानी मंत्रालय के अधीन केंद्रीय अंतर्देशीय जल परिवहन निगम लिमिटेड,फार्मास्युटिकल्स विभाग के इंडियन ड्रग्स और राजस्थान ड्रग्स ऐंड फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड जैसी कंपनियां जो घाटे में चल रही हैं, उन्हें भी सरकार बंद करने की तैयारी कर रही है. इसके अलावा दो बड़ी सार्वजनिक कंपनियों बीएसएनएल और एयर इंडिया को भी बंद करने या बेचने की मजबूरी हो सकती है. इन सबमें बड़ी संख्या में कर्मचारियों को नौकरी से हाथ धोना पड़ेगा या जबरन रिटायर कर दिया जाएगा. ऐसे में सवाल यह है कि इन बेरोजगार लोगों के लिए सरकार के पास क्या प्लान है? बजट से इस पर कुछ रोशनी पड़ सकती है.

क्या है वित्त मंत्री के पास विकल्प

अब और सरकारी कंपनियों को बंद न करना पड़े और कर्मचारियों की नौकरी पर संकट न आए इसके लिए सरकार घाटे में चल रही अपनी कुछ कंपनियों को शेयर बाजार से डीलिस्ट करा सकती है. इन कंपनियों की स्ट्रैटेजिक सेल से ज्यादा कीमत मिल सकती है. मार्केट रेगुलेटर सेबी ने सभी लिस्टेड कंपनियों के लिए मिनिमम 25 पर्सेंट पब्लिक शेयरहोल्डिंग जरूरी कर दी है. इसलिए सरकार के लिए ऐसा करना मजबूरी भी है.

कई कंपनियों में सरकार की हिस्सेदारी 90 फीसदी से ज्यादा है. इनमें फर्टिलाइजर्स ऐंड केमिकल ट्रावणकोर लिमिटेड (FACT), एंड्रयूल एंड कंपनी लिमिटेड और एचएमटी लिमिटेड शामिल हैं. इनमें से FACT और HMT घाटे में चल रही हैं. इसके अलावा स्कूटर्स इंडिया में भी सरकार की 93 पर्सेंट हिस्सेदारी है, जिसे तीन साल प्रॉफिट में रहने के बाद वित्त वर्ष 2017 में 10.28 करोड़ रुपये का घाटा हुआ. वह नॉन स्ट्रैटेजिक पब्लिक सेक्टर यूनिट्स को बेचना चाहती है. सरकार की ओर से जिन कंपनियों को विनिवेश की मंजूरी दी गई है उनमें 25 से ज्‍यादा कंपनियां शामिल हैं. इन कंपनियों में सेल, एचपीएल और हिंदुस्‍तान कॉरपोरेशन लिमिटेड जैसी कंपनियां शामिल हैं.

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इसके अलावा कंपनियों के बंद होने वाले कर्मचारियों के लिए वित्त मंत्री किसी पैकेज की घोषणा कर सकती हैं. बीएसएनएल जैसी घाटे में चल रही कई कंपनियों में वीआरएस लागू किया जा रहा है. घाटे में चलने वाली ऐसी ज्यादातर कंपनियों में कर्मचारियों के लिए आकर्षक वीआरएस पैकेज लागू कर उन्हें राहत दी जा सकती है. ऐसी कंपनियों में ज्यादातर कर्मचारी 45 साल से ज्यादा उम्र के होते हैं, इसलिए उनको ऐसे वीआरएस पैकेज से राहत मिल सकती है.

इसके अलावा बहुत से कर्मचारियों को दूसरे सरकारी विभागों में भी समायोजित किया जा सकता है. ऐसे कर्मचारियों को निजी क्षेत्र में नौकरी मिले, इसके लिए सरकार निजी कंपनियों के लिए किसी प्रोत्साहन योजना की घोषणा कर सकती है. इसके अलावा, जो कर्मचारी अपना कारोबार या उद्यम खड़ा करें उन्हें मुद्रा योजना के तहत विशेष प्राथमिकता दी जा सकती है.

देश की सेवा करने वाले ऐसे कर्मचारियों के लाखों परिजनों को इस बात का बेसब्री से इंतजार है कि वित्त मंत्री उन्हें क्या सौगात देती हैं. शुक्रवार को पेश होने वाले बजट से यह साफ हो जाएगा कि सरकार इनके लिए क्या करती है.

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