देश में आम बजट पेश करने की तारीख बदल कर 1 फरवरी से करने के केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ विपक्षी दलों ने गुरुवार को चुनाव आयोग के दरवाजे पर दस्तक दी. 16 पार्टियों का एक प्रतिनिधिमंडल चुनाव आयोग से मिला और उनसे केंद्र सरकार की मनमानी रोकने की मांग की. विपक्षी दलों का कहना है कि 4 फरवरी से शुरू हो रहे पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों को देखते हुए आम बजट की तारीख 1 फरवरी से टाल कर मार्च में रखनी चाहिए. यही नहीं उन्होंने केंद्र सरकार पर वोटों की राजनीति के लिए आम बजट के इस्तेमाल का आरोप लगाया.
जानिए विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग से की क्या 5 अहम बातें...
वित्तमंत्री के रूप में प्रणब मुखर्जी के कार्यों की दी मिसाल
इससे पहले भी साल 2012 में विधानसभा चुनाव थे, तब बीजेपी ने आम बजट के खिलाफ प्रेजेंटेशन दिया और यूपीए सरकार ने उस आपत्ति को स्वीकार करते हुए बजट पेश करने की तारीख बढ़ा दी थी. उस वक्त वित्तमंत्री रहे प्रणब मुखर्जी ने फिर 16 मार्च को आम बजट पेश किया था. विपक्षी दलों ने प्रणब मुखर्जी के उस कदम का हवाला देते हुए चुनाव आयोग से कहा कि सरकार की मंशा बजट पहले पेश करके वोटर को प्रभावित करने की है.
साल 2008 के जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव का हवाला
इसके साथ इन पार्टियों ने साल 2008 में हुए जम्मू कश्मीर के विधानसभा चुनावों का भी हवाला दिया. तब यूपीए सरकार कोई स्कीम लाना चाहती थी, लेकिन एनडीए ने चुनावों को प्रभावित करने की दलील देते हुए फैसले को वापास लेने की मांग की थी और तत्कालीन यूपीए सरकार ने अपने कदम वापस भी खींच लिए थे. इस प्रतिनिधिमंडल का कहना है कि इससे बीजेपी की कथनी और करनी में फर्क साफ नजर आता है.
वाम के साथ-साथ दक्षिणपंथी शिवसेना का भी समर्थन
इस प्रतिनिधिमंडल में 16 पार्टियों ने हिस्सा लिया, वामपंथी पार्टियों के साथ-साथ दक्षिणपंथी पार्टी शिवसेना भी शामिल है. चुनाव आयोग को सौंपी चिट्ठी में लेफ्ट पार्टियों ने भी हस्ताक्षर किए, तो वहीं प्रतिनिधिमंडल में शामिल नेताओं का कहना था सरकार की सहयोगी शिवसेना भी इसका बाहर से सहयोग कर रही है. चुनाव आयोग को सौंपी चिट्ठी में प्रतिनिधिमंडल ने उससे संविधान के अनुसार फैसला करने की मांग की है. इसमें कहा गया है कि आम बजट हमेशा 28 फरवरी को पेश होता आया है, भारत के इतिहास में इस तरह 1 फरवरी को कभी बजट पेश नहीं किया गया. इससे सरकार की मंशा स्पष्ट है कि वह चुनाव को प्रभावित करना चाहती है.
वित्तमंत्री अरुण जेटली का सिद्धांत गलत
चुनाव आयोग से मिलने पहुंचे विपक्षी प्रतिनिधिमंडल का कहना है कि वित्तमंत्री अरुण जेटली ने जो कहा वह बिल्कुल गलत है. उनका वोट ऑन अकाउंट का हवाला देना सही नहीं है. यह तो आम चुनाव के वक्त किया जाता है, क्योंकि आम चुनाव की प्रक्रिया मई के तीसरे सप्ताह तक चलती है, जबकि यहां तो 8 मार्च को मतदान पूरा हो जाएगा. तो 8 मार्च और 31 मार्च के बीच बजट पास हो सकता है.
संविधान की गरिमा बनाए रखने के लिए आयोग करे हस्तक्षेप
इस प्रतिनिधिमंडल ने संवाददाताओं से बातचीत में बताया कि चुनाव आयोग ने हमारी बातें सुनी. चुनाव आयोग को संवैधानिक अधिकार है वह संविधान की गरिमा बनाए रखने के लिए हस्तक्षेप करें. अगर यह नहीं होता तो निष्पक्ष चुनाव संभव नहीं. चुनाव आयोग ने हमारे तर्क सुने और बताया कि पूर्व के मामलों को देख कर वह कोई फैसला लेगा.