पूर्व वित्त मंत्री और भाजपा सांसद यशवंत सिन्हा ने आम बजट को ‘बाजीगरी का बजट’ करार देते हुए कहा कि वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने जो बजट पेश किया है उसके लगता है कि भविष्य में आर्थिक संकट और गहराएगा.
सिन्हा ने संसद परिसर में कहा कि राजकोषीय घाटा, मुद्रास्फीति आदि की चुनौतियों के बीच इनके आंकड़ों में बाजीगरी की गयी है.
उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री ने राजकोषीय घाटे को 5.2 फीसदी पर रखने का श्रेय लिया है जबकि केलकर समिति ने इसे 5.3 फीसदी रखने की सिफारिश की थी. राजकोषीय घाटा अगले साल 4.8 फीसदी पर रखने का लक्ष्य रखा है. देखते हैं यह कहां तक सही रहता है.
पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि देश में बुनियादी ढांचे में निवेश के लिए धन की कमी नहीं बल्कि परियोजनाओं को मंजूरी, भूमि अधिग्रहण, पर्यावरण मंजूरियों की समस्याएं रहती हैं जिस पर चिदंबरम ने कुछ नहीं कहा. उन्होंने राजग सरकार द्वारा प्रस्तावित महत्वाकांक्षी ‘नदी जोड़ो परियोजना’ पर कुछ नहीं कहा जिससे अर्थव्यवस्था को गति मिल सकती थी.
सिन्हा ने कहा कि वित्त मंत्री ने विदेशी निवेश पर बड़े जोर देकर अपनी बात कही जैसे विदेशी निवेश से ही सारी दिक्कतें दूर हो जाएंगी और देश अपने दम पर नहीं बल्कि विदेशी मदद से आर्थिक विकास करेगा. यही यूपीए का फार्मूला है.
उन्होंने कहा कि सरकार खाद्य सुरक्षा विधेयक को इसी सत्र में लाने का दावा कर रही है जिसके लिए बजट में 10 हजार करोड़ रुपये का आवंटन प्रस्तावित है जबकि विशेषज्ञ इस कानून के लागू होने के बाद अर्थव्यवस्था पर एक लाख करोड़ रुपये के भार का अनुमान लगा रहे हैं. मनरेगा में भी आवंटन 40 हजार करोड़ से कम करके 33 हजार करोड़ रुपये कर दिया.
सिन्हा के मुताबिक सबसे ज्यादा निराशा इस बात से हुई कि प्रत्यक्ष कर संहिता विधेयक के संबंध में स्थाई समिति द्वारा पिछले साल नौ मार्च को ही रिपोर्ट दिये जाने के बाद भी इस पर कोई अमल नहीं हुआ. अच्छा होता कि चिदंबरम नया आयकर कानून लाते लेकिन उन्होंने अस्थाई बदलाव ही किये हैं.
भाजपा नेता ने हालांकि आवास पर आयकर में एक लाख रुपये की अतिरिक्त कर छूट का स्वागत करते हुए कहा कि करीब एक दशक बाद आवास क्षेत्र में इस तरह की राहत दी गयी है. इससे पहले एनडीए सरकार ने इस पर 1.5 लाख रुपये की छूट दी थी.
सिन्हा ने कहा कि चिदंबरम ने उत्पाद शुल्क में कुछ खास नहीं किया. अलग-अलग उत्पादों पर अलग-अलग घटत बढ़त करने के बजाय इसमें एकरूपता लानी चाहिए थी. इस बजट में वस्तु एवं सेवा शुल्क (जीएसटी) के लिए भी कोई रोडमैप नहीं है.
उन्होंने कहा कि बजट से स्पष्ट है कि करीब 18 हजार करोड़ रुपये का अतिरिक्त कर भार लोगों पर पड़ेगा जिसमें प्रत्यक्ष कर पर 13000 करोड़ रुपये और अप्रत्यक्ष कर पर 4700 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ रहेगा. इसका सीधा असर महंगाई पर पड़ेगा.
सिन्हा ने कहा कि देश के सामने निवेश का बड़ा संकट है और इसमें जान डालने के लिए कोई उम्मीद वाला सुझाव इस बजट में नहीं हैं. इससे निवेशकों का उत्साह नहीं बढ़ेगा. विश्वास में कमी बनी रहेगी.
उन्होंने अगले साल आम चुनाव के मद्देनजर बजट में लोक लुभावन वादे किये जाने की ओर इशारा करते हुए कहा कि सरकार को पता है कि केवल वादे देखे जाएंगे और क्रियान्वयन कोई नहीं देखेगा. जबकि अगर चिदंबरम के सभी कार्यकालों के बजटों पर नजर डाली जाए तो क्रियान्वयन निराशाजनक है.
सिन्हा ने कहा कि संप्रग सरकार ने 2008-09 के बजट में भी वैश्विक मंदी की बात कही थी और इस बार भी इसका हवाला दिया लेकिन खर्च घटा दिया. दोनों बातें एक साथ नहीं चल सकतीं.