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Budget 2019: एल्‍यूमीनियम इंडस्‍ट्री की मांग- आयात पर लगे अंकुश

देश का अंतरिम बजट पेश होने वाला है. इस बजट से पहले एल्‍यूमीनियम इंडस्‍ट्री ने आयात पर रोक लगाने की मांग की है.

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एल्‍यूमीनियम इंडस्‍ट्री की मांग
एल्‍यूमीनियम इंडस्‍ट्री की मांग

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देश का अंतरिम बजट पेश होने अब कुछ घंटों का समय बचा है. बजट से पहले देश की अलग-अलग इंडस्‍ट्री रियायत की मांग कर रही हैं. इसी कड़ी में एल्‍यूमीनियम इंडस्‍ट्री की ओर से घरेलू उद्योग को सहारा देने की अपील की गई है. इस इंडस्‍ट्री का कहना है कि भारत में एल्यूमीनियम आयात पूरी तरह से गैर-जरूरी है क्योंकि देश में पर्याप्त घरेलू क्षमता है. एल्यूमीनियम के आयात पर प्रतिबंध लगाने से 5 अरब डॉलर विदेशी मुद्रा की बचत होगी.

आयात पर अंकुश लगाने की मांग

एल्‍यूमीनियम इंडस्‍ट्री का कहना है कि भारत सरकार को घरेलू एल्यूमीनियम उद्योग में नई जान फूंकने के लिए वैश्विक खिलाड़ियों के मुकाबले प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने के साहसिक कदम उठाने चाहिए. इसलिए, आगामी बजट में सरकार को प्राइमरी एल्यूमीनियम और स्क्रैप मेटल दोनों पर मौजूदा सीमा शुल्क को बढ़ाकर 10 फीसदी कर देनी चाहिए. इससे आयात पर अंकुश लगाने में मदद मिलेगी. इसके अलावा विदेशी मुद्रा भंडार बचाने और घरेलू एल्यूमीनियम खपत को बढ़ावा देना भी आसान होगा. इंडस्‍ट्री का कहना है कि पिछले तीन सालों में भारतीय इस्पात उद्योग के लिए अपनाए गए सुरक्षा उपायों की तरह ही एल्यूमीनियम उद्योग के लिए भी पर्याप्त उपाय करते हुए समर्थन बढ़ाना चाहिए.

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लगातार बढ़ रही एल्यूमीनियम की डिमांड

भारत में एल्यूमीनियम की डिमांड हर साल 10 फीसदी की दर से बढ़ रही है. देश में एल्यूमीनियम उत्पादन क्षमता को 20 लाख टन सालाना से बढ़ाकर 41 लाख टन करने के लिए घरेलू प्राथमिक उत्पादकों ने पिछले कुछ सालों में 1.20 लाख करोड़ रुपये (20 अरब डॉलर) का निवेश किया है.  यहां बता दें कि वित्‍तीय वर्ष 2018 में 36 लाख टन की घरेलू डिमांड रही है. इसके बावजूद, देश की लगभग 60 फीसदी मांग आयात के माध्यम से पूरी हो रही है. वित्तीय वर्ष 2017-18 में 19.6 लाख टन एल्यूमीनियम आयात हुआ, जो अब तक का उच्चतम है.

सबसे बड़ा खतरा स्क्रैप एल्यूमीनियम

इंडस्‍ट्री की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि इस मामले में सबसे बड़ा खतरा स्क्रैप एल्यूमीनियम के आयात ने पैदा किया है. कुल एल्यूमीनियम आयात में इसका हिस्सा 57 फीसदी है. वर्तमान में स्क्रैप एल्यूमीनियम पर आयात शुल्क 2.5 फीसदी है, जबकि प्राइमरी मेटल पर यह 7.5 फीसदी है. आयात शुल्क में इस अंतर ने ही आयातित स्क्रैप के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया है. अहम बात यह है कि तांबा, जस्ता, निकेल, सीसा, टिन जैसे मेटल के लिए प्राइमरी मेटल और स्क्रैप दोनों में आयात शुल्क एक समान है.

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