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बजट: CTI की मांग- आयकर में छूट के साथ GST और ई-कॉमर्स के नियमों में हो सुधार

दिल्ली में व्यापारियों के संगठन चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (सीटीआई) ने भी सोमवार को दिल्ली के व्यापारियों, फैक्ट्री मालिकों, महिला कारोबारियों और टैक्स एक्सपर्ट्स के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस पर मीटिंग की, इसमें आने वाले बजट को लेकर चर्चा हुई.

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बजट से पहले सुझाव
बजट से पहले सुझाव
स्टोरी हाइलाइट्स
  • दिल्ली के कारोबारियों को बजट से खासी उम्मीदें
  • CTI की दिल्ली के व्यापारियों और फैक्ट्री मालिकों के साथ बैठक
  • इनकम टैक्स में छूट की सीमा बढ़ाने की मांग

वित्त वर्ष 2021-2022 के बजट की तैयारियों में जुटी केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को अलग-अलग व्यापारिक संगठन अपने सुझाव और समस्याएं भेज रहे हैं. दिल्ली में व्यापारियों के संगठन चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (सीटीआई) ने भी सोमवार को दिल्ली के व्यापारियों, फैक्ट्री मालिकों, महिला कारोबारियों और टैक्स एक्सपर्ट्स के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस पर मीटिंग की, इसमें आने वाले बजट को लेकर चर्चा हुई.

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सीटीआई के चेयरमैन बृजेश गोयल और अध्यक्ष सुभाष खंडेलवाल ने बताया कि मीटिंग में कारोबारियों ने अपनी परेशानियों और मांगों का ड्राफ्ट तैयार किया है जिसको लेकर सीटीआई ने केंद्रीय वित्त मंत्री को पत्र लिखा है. CTI ने कहा कि बजट निर्माण में व्यापारियों की मांगों का भी ध्यान रखा जाए. सीटीआई ने वित्त मंत्री से मिलने का समय भी मांगा है.

बृजेश गोयल ने बताया कि व्यापारियों ने बहुत अहम सुझाव दिए हैं: 

1. इनकम टैक्स में छूट की सीमा 5 लाख होनी चाहिए.

टैक्स रिबेट द्वारा 5 लाख तक के टैक्सपेयर्स को इनकम टैक्स से दी गई छूट का लाभ सभी मध्यम एवं उच्चवर्गीय टैक्स पेयर्स जिनकी इनकम 5 लाख से ज्यादा है उनको भी मिलना चाहिए. इसलिए ये छूट रिबेट के जरिए ना देकर इनकम टैक्स की छूट की सीमा  को बढ़ाकर देनी चाहिए.

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2. इनकम टैक्स की 80 सी छूट की डेढ़ लाख की सीमा में कई सालों से कोइ बदलाव नहीं हुआ है, मिडिल क्लास के टैक्स पेयर्स को राहत देने के लिए इसको बढ़ाया जाना चाहिए.

3. दो साल पहले कैश पेमेंट की लिमिट को 20 हजार से घटाकर 10 हजार कर दिया गया था. 20 हजार की लिमिट 20 सालों से चली आ रही थी. नकद लेनदेन व्यापार का एक जरूरी हिस्सा है. 'ईज ऑफ डुइंग बिजनेस' और परंपरागत तरीके से व्यापार करने वाले लोगों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए इसे फिर से 20 हजार किया जाना चाहिए. 

4. सरकार ऐसे उपाय करे, जिससे निवेश बढ़े और ज्यादा से ज्यादा रोजगार मार्केट में पैदा हों.

5. सरकार को कच्चे माल पर इंपोर्ट ड्यूटी भी कम करनी चाहिए. बहुत सारा रॉ-मैटेरियल विदेश से आता है, जिससे देश में प्रोडक्शन होता है.

6. सरकार को इंफ्रास्ट्रक्चर पर भी फोकस करना होगा. घरेलू उत्पादन को प्रोत्साहित करना होगा, ताकि देसी उद्योगों में अधिक उत्पादन हो सके. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'वोकल फॉर लोकल' अभियान पर ठोस काम हो. भारतीय वस्तुओं की डिमांड होगी, तो यहां की इकोनॉमी बूस्ट होगी. 

7. सरकार को ई-कॉमर्स पर नियंत्रण लगाना जरूरी है. देश में ई-कॉमर्स के जरिए विदेशी कंपनियां काफी मुनाफा कमा रही हैं, जिससे हमारा पैसा विदेश जा रहा है. इससे हिन्दुस्तान के खुदरा बाजार को भारी नुकसान पहुंच रहा है. ई-कॉमर्स कंपनियों के बिजनेस मॉडल पर नजर रखनी होगी. 

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8. जीएसटी के नियमों में संशोधन होने चाहिए. कई वस्तुओं पर टैक्स की दरें ज्यादा हैं, जिसे कम किया जाए. 

वीडियो कॉन्फ्रेंस में महेंद्र अग्रवाल, दिलीप बिंदल, हुकुमचंद नाकड़ा, देवेंद्र मदान, डॉ देवेंद्र अग्रवाल, दीपक गर्ग, भारत अरोड़ा, तरुण चतुर्वेदी, सुधीर कुमार, पीपी टुटेजा आदि व्यापारी नेताओं के साथ टैक्स एक्सपर्ट सीए राकेश गुप्ता मौजूद रहे.

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