सीमा पर चीन और पाकिस्तान की चुनौतियों और सेना के आधुनिकीकरण को देखते हुए साल 2021-22 के बजट में पूंजीगत व्यय के लिए 1.35 लाख करोड़ का प्रावधान किया गया है. देश की परिसंपत्तियों में वृद्धि करने वाले खर्चों को पूंजीगत व्यय माना जाता है, जैसे कि पुल, सड़क, अस्पताल निर्माण. सेना के संदर्भ में इस मद में हथियारों, युद्धक विमानों, टैंक, लड़ाकू हेलिकॉप्टरों की खरीद पर किया जाने वाला खर्च जोड़ा जा सकता है.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि इस साल रक्षा विभाग में पूंजीगत व्यय में लगभग 19 फीसदी इजाफा किया गया है. राजनाथ सिंह ने इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को धन्यवाद दिया है और इसे 15 सालों में रक्षा के लिए पूंजीगत व्यय में सबसे अधिक वृद्धि करार दिया है.
हालांकि पेंशन समेत कुल रक्षा बजट को देखें तो इस साल पिछले साल के मुकाबले मामूली बढ़ोतरी ही हुई है. इस साल कुल रक्षा बजट 4.78 लाख करोड़ रुपये है, जबकि साल 2020-21 में ये आंकड़ा 4.71 लाख करोड़ रुपये था.
अगर पेंशन को छोड़ दिया जाए तो इस साल रक्षा बजट 3.62 लाख करोड़ रुपये है जबकि पिछले साल ये आंकड़ा 3.37 लाख करोड़ रुपये था.
I specially thank PM& FM for increasing the defence budget to 4.78 lakh cr for FY21-22 which includes capital expenditure worth Rs 1.35 lakh crore. It is nearly19 percent increase in Defence capital expenditure. This is highest ever increase in capital outlay for defence in 15yrs
— Rajnath Singh (@rajnathsingh) February 1, 2021
सरकार ने इस साल नए हथियारों की खरीद, एयरक्राफ्ट, युद्धपोत और दूसरे सैन्य हार्डवेयर की खरीद के लिए 1.35 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया है. पिछले साल के बजट में इस मद में 1.13 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था.
बता दें कि साल 2020-21 में साजो-सामान की खरीदारी में वास्तविक आवंटन से 20 हजार करोड़ रुपये ज्यादा खर्च किए गए थे. ऐसा चीन के साथ तनाव की वजह से हुआ था.