Economic Survey 2022: आज से संसद के बजट सत्र (Budget Session) की शुरुआत हो रही है. मंगलवार को बजट से पहले आज वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (FM Nirmala Sitharaman) लोकसभा में आर्थिक समीक्षा 2021-22 पेश करेंगी. इससे पता चलेगा कि पिछले बजट में किए गए ऐलान किस हद तक जमीन पर उतारे जा सके. चूंकि आर्थिक समीक्षा को देश की आर्थिक स्थिति का बैरोमीटर कहा जाता है, इससे पता चलेगा कि देश की अर्थव्यवस्था का इंजन किस दिशा में और कितनी तेजी से आगे बढ़ रहा है. अगले दिन आ रहे बजट का क्या हाल रहने वाला है, कुछ हद तक समीक्षा से इसका भी अंदाजा लगेगा.
पिछले सप्ताह तक खाली था सीईए का पद
आम तौर पर आर्थिक समीक्षा तैयार करने का काम चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर का होता है, लेकिन इस बार इसे प्रिंसिपल इकोनॉमिक एडवाइजर संजीव सान्याल और अन्य अधिकारियों ने मिलकर तैयार किया है. इसका कारण है कि चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर (CEA) का पद करीब एक महीने से रिक्त था. पूर्व सीईए KV Subramanian का 3 साल का कार्यकाल दिसंबर 2021 में समाप्त हो गया था. उनके जाने के एक महीने से ज्यादा बीत जाने के बाद भी सरकार नया सीईए नियुक्त नहीं कर पाई थी. बहरहाल पिछले सप्ताह शुक्रवार को वी. अनंत नागेश्वरन को नया सीईए बनाया गया.
सिंगल वॉल्यूम में आ सकती है आर्थिक समीक्षा
इस बार बजट की तरह आर्थिक समीक्षा की भी परंपरा में बदलाव आने के अनुमान हैं. आम तौर पर आर्थिक समीक्षा के दो भाग होते हैं. बताया जा रहा है कि इस बार सिंगल वॉल्यूम आर्थिक समीक्षा जारी होने वाली है. पूर्व सीईए ने नवंबर में कहा भी था कि इस बार आर्थिक समीक्षा सिंगल वॉल्यूम में ही जारी की जा सकती है. संसद में आर्थिक समीक्षा पेश होने के बाद लोकसभा के सदस्य इसके ऊपर चर्चा करेंगे.
इतनी रह सकती है देश की आर्थिक वृद्धि दर
वित्त वर्ष 2021-22 की इस आर्थिक समीक्षा में यह पता चलेगा कि कोरोना की दूसरी और तीसरी लहर के बीच देश ने किस तरह से तरक्की की. माना जा रहा है कि चालू वित्त वर्ष के लिए समीक्षा में करीब 9 फीसदी की आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान लगाया जा सकता है. नवनियुक्त सीईए ने हाल ही में एक अखबार में लिखे आलेख में चालू वित्त वर्ष के लिए आर्थिक वृद्धि दर 9 फीसदी के आस-पास रहने का अनुमान जाहिर किया था.
आजादी के बाद शुरू हुआ समीक्षा का इतिहास
भारत में आर्थिक समीक्षा का इतिहास बजट जितना पुराना नहीं है. देश में पहला बजट 1860 में ही पेश हो गया था, लेकिन आर्थिक समीक्षा की परंपरा आजादी के बाद शुरू हुई. पहली बार वित्त वर्ष 1950-51 के लिए आर्थिक समीक्षा पेश की गई थी. साल 1964 तक यह बजट का ही एक हिस्सा हुआ करती थी. इसमें बहुत ज्यादा फेरबदल नहीं ही होता है. साल 2018 में तत्कालीन सीईए अरविंद सुब्रमण्यम ने एक बदलाव किया था और पिंक कलर में आर्थिक समीक्षा पेश की गई थी. उन्होंने महिला अधिकारों के समर्थन और जेंडर इक्वलिटी को बढ़ावा देने के लिए ऐसा किया था.