वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को 2021-22 का इकोनॉमिक सर्वे (Economic Survey 2021-22) संसद में पेश किया. इस सर्वे में इकोनॉमी के विभिन्न पहलुओं की स्थिति पेश की गई है. इसके साथ ही आने वाले समय में उठाए जाने वाले सुधार कार्यक्रमों (Reforms) के बारे में भी बात की गई है. इस सर्वे के मुताबिक देश वित्त वर्ष 2022-23 में मजबूती से आगे बढ़ने के लिए तैयार है. हालांकि, Disinvestment Target से लेकर GDP Growth जैसे कई मोर्चों पर सरकार अब तक लक्ष्य से काफी पीछे चल रही है. इसका असर 2022-23 के केंद्रीय बजट पर देखने को मिलेगा.
विनिवेश लक्ष्य को हासिल करने में पिछड़ी सरकार
सरकार ने वित्त वर्ष 2021-22 के बजट में 1.75 लाख करोड़ रुपये का विनिवेश लक्ष्य रखा था. इसमें दो पब्लिक सेक्टर दो बैंकों और एक जनरल इंश्योरेंस कंपनी का विनिवेश शामिल था. इसके साथ ही सरकार ने LIC के आईपीओ की भी बात कही थी. चालू वित्त वर्ष में सरकार विनिवेश से अब तक महज 12,030 करोड़ रुपये जुटा सकती है. वहीं, लक्ष्य इससे 14-15 गुना अधिक है. सरकार चालू वित्त वर्ष में LIC के आईपीओ की प्रक्रिया पूरी करने की कोशिशों में लगी है. हालांकि, विश्लेषकों के मुताबिक अगर सरकार इसे पूरा भी कर लेती है तो वह अपने विनिवेश लक्ष्य से काफी पीछे रह जाएगी.
GDP के मामले में पीछे रह गई सरकार
पिछले साल आर्थिक सर्वेक्षण में इस बात का अनुमान लगाया गया था कि देश की वास्तविक विकास दर (Real GDP Growth) 2021-22 में 11 फीसदी पर रह सकती है. दूसरी ओर, सोमवार को पेश किए गए 2021-22 की आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष में देश की विकास दर (GDP Growth) 9.2 फीसदी पर रह सकती है. इस तरह देखा जाए तो सरकार इस लक्ष्य से पीछे रह गई है और इससे 2024-25 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनने का लक्ष्य और मुश्किल हो गया है.
यह इकोनॉमिक सर्वे प्रिंसिपल इकोनॉमिक एडवाइजर संजीव सान्याल के गाइडेंस में तैयार किया गया है.
2021 के बजट भाषण की ऐसी हुई थी शुरुआत
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2021-22 का केंद्रीय बजट पेश करते हुए कहा था, ''इस बार का बजट डिजिटल बजट है, ये ऐसे वक्त में आ रहा है जब देश की जीडीपी लगातार दो बार माइनस में गई है, लेकिन ये ग्लोबल इकोनॉमी के साथ ऐसा ही हुआ है. साल 2021 ऐतिहासिक साल होने जा रहा है, जिसपर देश की नजर है. मुश्किल के इस वक्त में भी मोदी सरकार का फोकस किसानों की आय दोगुनी करने, विकास की रफ्तार को बढ़ाने और आम लोगों को सहायता पहुंचाने पर है."