संसद में सोमवार को सबकी निगाहें आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट पर होगी. 11 बजे राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के अभिभाषण के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली सर्वे को संसद के सामने रखेंगे.
अर्थव्यवस्था की तस्वीर
आर्थिक सर्वे को देश की अर्थव्यवस्था की तस्वीर माना जाता है. सर्वेक्षण में आने वाले बजट की भी झलक मिलती है. बजट से पहले आर्थिक सर्वेक्षण पेश करने की परंपरा लंबे वक्त से चली आ रही है. इस साल सर्वे में नोटबंदी के असर का लेखाजोखा होने की उम्मीद है.
-आर्थिक सर्वेक्षण वित्त मंत्रालय का वो वार्षिक दस्तावेज है जिसमें सरकार अर्थव्यवस्था की समीक्षा पेश करती है.
-परंपरा के मुताबिक इस आधिकारिक रिपोर्ट को सालाना बजट से एक दिन पहले संसद के दोनों सदनों में पेश किया जाता है.
- आर्थिक सर्वेक्षण में आने वाले साल में इकोनॉमी के ग्रोथ रेट का अनुमान लगाया जाता है. रिपोर्ट में अर्थव्यवस्था को लेकर सरकार की नीतियों और चुनौतियों का खाका भी पेश किया जाता है.
- सरकार रिपोर्ट के जरिए देश के सामने अर्थव्यवस्था के मौजूदा हाल की वजहें सामने रखती है. इसमें इकोनॉमी के अलग-अलग सेक्टर्स में सुधारों का विश्लेषण और रोडमैप पेश किया जाता है.
-आर्थिक सर्वेक्षण में छोटी अवधि से लेकर मध्यावधि तक अर्थव्यवस्था की संभावनाएं गिनवाई जाती हैं.
-सर्वेक्षण की रिपोर्ट में सरकार की योजनाओं की कामयाबी या नाकामी का लेखाजोखा भी होता है.
कैसे बनता है आर्थिक सर्वेक्षण?
आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट वित्त मंत्रालय में आर्थिक जानकारों की टीम तैयार करती है. मुख्य आर्थिक सलाहकार इस टीम की अगुवाई करती है. रिपोर्ट तैयार करने में अलग-अलग सरकारी एजेंसियों के आंकड़ों का विश्लेषण किया जाता है. आमतौर पर इसमें महीनों की मेहनत लगती है.
आर्थिक सर्वेक्षण को बजट का आधार माना जाता है. लेकिन सरकार इसमें पेश सिफारिशों को मानने के लिए मजबूर नहीं होती.