केंद्र सरकार ने यूरिया के घरेलू उत्पादन को बढ़ाने के लिए और आयात पर निर्भरता को कम करने के लिए एक बड़ा फैसला लिया है. सरकार ने हिंदुस्तान ऊर्वरक और रसायन लिमिटेड (HURL) की सिंदरी, गोरखपुर और बरौनी परियोजनाओं को पुनर्जीवित करने के लिए 1257.82 करोड़ रुपये का ब्याज मुक्त लोन उपलब्ध कराने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किया है.
केन्द्रीय रसायन और उर्वरक मंत्री डी वी सदानंद गौड़ा, उर्वरक विभाग के अतिरिक्त सचिव और एचयूआरएल के प्रबंध निदेशक की उपस्थिति में एक ऋण समझौते पर हस्ताक्षर किए गए. देश के किसानों को आसानी से यूरिया की उपलब्धता कराने के लिए ये कदम उठाया गया है. इस समझौते पर उर्वरक विभाग की ओर से निदेशक निरंजन लाल और एचयूआरएल की ओर से प्रबंध निदेशक अरुण कुमार गुप्ता ने हस्ताक्षर किए.
उर्वरक मंत्री सदानंद गौड़ा की मौजूदगी में समझौता
इस समझौते के तहत भारत सरकार ने एचयूआरएल को कुल 1257.82 करोड़ रुपये का ब्याज मुक्त ऋण उपलब्ध कराने को मंजूरी दी है, जिसमें से 422.28 करोड़ रुपये गोरखपुर, 415.77 करोड़ रुपये सिंदरी और 419.77 करोड़ रुपये बरौनी परियोजनाओं के लिए हैं. एचयूआरएल को 2022-23 की 8 वर्ष की अवधि में यह ऋण चुकाना होगा.
एचयूआरएल गोरखपुर, सिंदरी और बरौनी में तीन गैस आधारित यूरिया विनिर्माण इकाइयां स्थापित कर रहा है. प्रत्येक संयंत्र की क्षमता 12.7 एलएमटी प्रति वर्ष है.
देश में यूरिया का उत्पादन बढ़ेगा
उर्वरक मंत्री सदानंद गौड़ा ने कहा कि ब्याज मुक्त ऋण जारी होने से वर्ष 2021 तक नीम लेपित यूरिया का व्यावसायिक उत्पादन शुरू करने के लिए गोरखपुर, बरौनी और सिंदरी के संयंत्रों को मदद मिलेगी. उन्होंने कहा कि कोविड के कारण विभिन्न बाधाओं का सामना करने के बावजूद- गोरखपुर, सिंदरी और बरौनी संयंत्रों की भौतिक प्रगति क्रमश: 80.3 प्रतिशत, 74.2 प्रतिशत और 72.8 प्रतिशत के साथ संतोषजनक रही.
13 जुलाई 2016 को केन्द्रीय मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति की बैठक में एफसीआईएल की गोरखपुर और सिंदरी इकाइयों और एचपीसीएल की बरौनी इकाई को पुनर्जीवित करने के लिए इन्हें मिलाकर एक संयुक्त उद्यम गठन करने की मंजूरी दी थी.