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आज खुलेगी जेटली की 'पोटली', क्या इस बजट से नोटबंदी-GST के गम भूल जाएंगे लोग?

वित्तमंत्री अरुण जेटली आज संसद में 2018-19 का आम बजट पेश करेंगे जो उनकी सरकार का पांचवां और शायद सबसे कठिन बजट होगा. इस बजट में जेटली को राजकोषीय लक्ष्यों को साधने के साथ कृषि क्षेत्र के संकट, रोजगार सृजन और आर्थिक वृद्धि को गति देने की चुनौतियों का हल ढूंढना होगा.

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फाइल फोटो
फाइल फोटो

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केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली आज संसद में साल 2018-19 का आम बजट पेश करने जा रहे हैं, जो उनकी सरकार का पांचवां और शायद सबसे कठिन बजट होगा. इसमें जेटली को राजकोषीय लक्ष्यों को साधने के साथ कृषि क्षेत्र के संकट, रोजगार सृजन और आर्थिक वृद्धि को गति देने की चुनौतियों का हल ढूंढना होगा.

यह बजट ऐसे समय में पेश किया जा रहा है, जब आने वाले महीनों में आठ राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं. इनमें से तीन प्रमुख राज्यों में भारतीय जनता पार्टी (BJP) की सरकारें हैं. अगले साल आम चुनाव भी होने हैं. बजट में नई ग्रामीण योजनाएं आ सकती हैं, तो मनरेगा, ग्रामीण आवास, सिंचाई परियोजनाओं व फसल बीमा जैसे मौजूदा कार्यक्रमों के लिए आवंटन में बढ़ोतरी भी देखने को मिल सकती है.

गुजरात चुनाव से सबक लेकर कृषि को प्रोत्साहित करने पर ध्यान

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गुजरात में हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में देखने को मिला कि भाजपा का ग्रामीण वोट बैंक छिटक रहा है, जिसे ध्यान में रखते हुए जेटली अपने बजट में कृषि क्षेत्र के लिए कुछ प्रोत्साहन भी ला सकते हैं.

बजट में लघु उद्योगों के लिए मिल सकती हैं रियायतें

इसी तरह लघु उद्योगों के लिए भी रियायतें आ सकती हैं, क्योंकि इस खंड को BJP के प्रमुख समर्थक के रूप में देखा जाता है. जेटली माल व सेवा कर (जीएसटी) के कार्यान्वयन से इस वर्ग को हुई दिक्कतों को दूर करने के लिए कुछ कदमों की घोषणा कर सकते हैं.

इसके साथ ही आयकर छूट सीमा बढ़ाकर आम आदमी को कुछ राहत देने का प्रयास भी बजट में किया जा सकता है. राजमार्ग जैसी ढांचागत परियोजनाओं के साथ साथ रेलवे के आधुनिकीकरण के लिए अधिक आवंटन किया जा सकता है.

बजट घाटे को कम करने की चुनौती

इसके साथ ही जेटली के समक्ष बजट घाटे को कम करने की राह पर बने रहने की कठिन चुनौती भी है. अगर भारत इस डगर से चूकता है तो वैश्विक निवेशकों व रेटिंग एजेंसियों की निगाह में भारत की साख जोखिम में आ सकती है. जेटली ने राजकोषीय घाटे को मौजूदा वित्त वर्ष में घटाकर जीडीपी के 3.2 प्रतिशत पर लाने का लक्ष्य रखा था. आगामी वित्त वर्ष 2018-19 में इसे घटाकर तीन प्रतिशत किया जाना है.

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बजट को लेकर पीएम पहले ही दे चुके हैं संकेत

इस बजट को लेकर बड़ी अपेक्षाएं नहीं पालने की नसीहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले ही दे चुके हैं जबकि उन्होंने संकेत दिया था कि बजट में लोकलुभावन कदमों पर जोर नहीं होगा. उन्होंने कहा था, यह एक भ्रम है कि आम आदमी छूट चाहता है. जीएसटी के कार्यान्वयन के बाद यह पहला आम बजट होगा जिस पर विश्लेषकों की इसलिए भी निगाह है क्योंकि वे देखना चाहते हैं कि जेटली वृद्धि को बल देने के लिए क्या क्या उपाय करेंगे.

स्टार्टअप के लिए बजट में प्रावधान की उम्मीद

ऐसी चर्चा है कि शेयरों में निवेश से होने वाले पूंजीगत लाभ पर कर छूट समाप्त हो सकती है. यह भी देखना होगा कि क्या जेटली कारपोरेट कर में कमी लाने के अपने वादे को पूरा करते हैं या नहीं. जानकारों का कहना है कि कुछ क्षेत्रों में निर्यात बढ़ाने के लिए प्रोत्साहनों की घोषणा हो सकती है, तो उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के लिए स्टार्टअप यानी नयी कंपनियों के लिए कुछ कदम उठाए जा सकते हैं.

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