इसे आप वित्त मंत्री अरुण जेटली की मजबूरी मान लें या उनके अच्छे इरादे, मोदी सरकार को इस बार एक शानदार बजट पेश करना ही होगा. उसे एक ऐसा बजट देना होगा जो जनता की आकांक्षाओं पर तो खरा उतरे ही, बिजनेस और कृषि के भी माकूल हो. कारण साफ है बीजेपी ने चुनाव में कई बड़े वादे किए थे और अब इस सरकार को आए हुए नौ महीने हो गए हैं.
जब कोई भी नई सरकार आती है तो उसे अपनी नीतियों की घोषणा करनी होती है और मोदी सरकार के सामने यह बड़ा मौका है, जिसके जरिये वह अपनी नीतियों को विस्तार से रख सकेगी. सरकार धन के आवंटन के साथ ही बहुत सी नीतियों को हरी झंडी दिखाती है. यह सरकार भी कई ऐसी नीतियों की घोषणा कर सकती है.
विशेषज्ञों का मानना है कि नई सरकार के आने के बाद कुछ ऐसा नहीं हुआ कि जनता को सत्ता परिवर्तन का लाभ मिलता दिखे. महंगाई की दर कम रहने के कारण उन्हें राहत तो मिली लेकिन बात आगे नहीं बढ़ पाई. लोगों को धमाकेदार फैसलों का इंतजार बना रहा और जब दिल्ली में चुनाव हुए तो लोगों ने सत्तारूढ़ दल से अपनी नाराजगी भी जाहिर कर दी. यह एक बड़ा मौका है कि सरकार विकास का अपना बड़ा एजेंडा जनता के सामने रख सकेगी. पीएम मोदी ने कई योजनाओं के बार में कहा था, अब वित्त मंत्री को उनके लिए धन का प्रावधान करने का वक्त आ गया है. इनमें से कई ऐसे हैं जिनके लिए धन का प्रावधान नहीं हुआ है जैसे स्वच्छ भारत.
इसी तरह पीएम मोदी की प्रिय मेक इन इंडिया योजना के लिए भी बजट में प्रावधान होगा और कई तरह के टैक्स में कटौती हो सकती है. प्रधान मंत्री जन-धन योजना के लिए भी कुछ इंसेंटिव दिए जा सकते हैं ताकि लोगों के अकाउंट सक्रिय रहें. 100 स्मार्ट सिटीज के लिए इस बजट में काफी कुछ हो सकता है. इनके नाम तो घोषित होंगे ही, इनके लिए धन का प्रावधान भी होगा. इसके साथ ही इनके निर्माण की शुरुआत हो सकती है.
राजमार्गों का निर्माण अटल बिहारी वाजपेयी का प्रिय विषय रहा है. उनके जाने के बाद इस दिशा में काम बहुत ही कम हुए, लेकिन नई सरकार इसके लिए दुगने से भी ज्यादा धन दे सकती है ताकि नई सड़कें बनें और राजमार्गों का विस्तार हो सके. यह पीएम मोदी की इन्फ्रास्ट्र्क्चर को बढ़ावा देने की दिशा में एक बड़ा कदम होगा.