वित्त मंत्री अरुण जेटली के आम बजट में भी मेक इन इंडिया छाया रहा. मेक इन इंडिया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट है जिसका मकसद भारत को एक इनवेस्टमेंट डेस्टिनेशन के तौर पर बढ़ावा देना है. कोशिश ये है कि विदेशी निवेशकों को आकर्षित करते हुए भारत को एक मेन्युफैक्चरिंग हब के रूप में स्थापित किया जाए, ताकि उनके उत्पाद भारत में ही बनाए जा सकें.
जेटली के बजट में भी मेक इन इंडिया के लिए 310 करोड़ रुपये का अलग से प्रावधान किया गया है. इसके तहत जेटली ने कई तरह की रियायतें देने की घोषणा की है.
1. बजट में रियायत देते हुए धातु पुर्जे, इंसुलेटेड वायर और केबल, रेफ्रिजरेटर कम्प्रेशर के कलपुर्जों, वीडियो कैमरा के कंपाउंड्स जैसी चीजों पर सीमा शुल्क घटा दिया गया है.
2. इसी तरह लेथ मशीनों में इस्तेमाल होने वाले कच्चे माल पर देय बुनियादी सीमा शुल्क को 7.5 फीसदी से घटाकर 2.5 फीसदी कर दिया गया है.
3. एलसीडी और एलईडी टीवी पैनलों पर लगने वाले बुनियादी सीमा शुल्क को 10 फीसदी से घटाकर शून्य किया जा रहा है.
4. पेसमेकर के निर्माण में इस्तेमाल होने वाले विशेष कच्चे माल पर सीवीडी और एसएडी से पूरी तरह छूट दी जा रही है.
5. लोहे और इस्पात, तांबा और अल्यूमिनियम के मेटल स्क्रैप पर एसएडी को 4 फीसदी से घटाकर 2 फीसदी कर दिया गया है.
बजट पेश करते हुए जेटली ने कहा कि 'मेक इन इंडिया' और घरेलू विनिर्माण से देश में विकास तो होगा ही, निवेश में भी तेजी आएगी जिससे रोजगार पैदा होंगे.