एनडीए सरकार का अंतिम पूर्ण बजट पेश करने से पहले वित्त मंत्री अरुण जेटली के सामने कई चुनौतियां हैं. सरकार को नोटबंदी और जीएसटी के बाद धीमी पड़ी अर्थव्यवस्था में जान फूंकनी है तो निवेशकों को भी आकर्षित करना है. इसके अलावा अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों और कई राज्यों के विधानसभा चुनावों से पहले मतदाताओं को लुभाना भी सरकार की प्राथमिकताओं में होगा.
हालांकि, यह काम सरकार के लिए आसान नहीं रहेगा. नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने अनुमान जताया है कि वित्तीय वर्ष 2017-18 के लिए राजकोषीय घाटा बजट अनुमान से अधिक रह सकता है. उन्होंने कहा कि सरकार के विनिवेश और गैर कर राजस्व संग्रह से कुछ हद तक इसकी भरपाई हुई है, पर अगर बजट में लोकलुभावनी घोषणाएं की गईं तो सरकार को नुकसान उठाना पड़ सकता है. जानिए सरकार के किस कदम से उसे कितना भार उठाना पड़ सकता है.
आयकर छूट की सीमा 2.5 लाख से 3 लाख रुपये करने पर
इस समय 2.5 लाख रुपये तक की सालाना आय टैक्स फ्री है. इसे बढ़ाकर 3 लाख रुपये करने की मांग हो रही है. सबसे ज्यादा लोगों की नजरें इसी स्लैब पर है, क्योंकि पिछली बार भी इसमें कोई बदलाव नहीं किया गया था. आपकी 50,000 रुपये सालाना की आय को टैक्स फ्री करने से इसपर लगने वाले 5 फीसदी ब्याज की दर से आप हर साल 2,500 रुपये बचा सकेंगे यानी हर महीने करीब 200 रुपये. इस स्लैब में करीब 2 करोड़ आयकरदाता हैं. छूट की सीमा 50,000 रुपया बढ़ाने पर सरकार को लगभग 5,300 करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान लगाया जा रहा है. यानी आपके 200 रुपये बचाने पर सरकार को 5,300 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ेगा.
80C की सीमा 1.5 लाख से 2 लाख रुपये करने पर
इस समय इनकम टैक्स की धारा 80C के तहत करदाताओं को 1.5 लाख रुपये तक की छूट मिलती है. इसे बढ़ाकर 2 लाख रुपये करने की मांग की जा रही है. ऐसा हुआ तो 50 लाख करदाता हर साल 50,000 या उससे ज्यादा रुपये बचा सकेंगे. इससे हर साल करीब 25,000 करोड़ रुपये टैक्स फ्री हो जाएंगे. अगर इस पर 10.3 फीसदी की दर से टैक्स का अनुमान लगाया जाए तो इससे सरकार को 2,575 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ेगा.
तीन आयकर स्लैब में बदलाव करने पर
इस समय देश में तीन आयकर स्लैब हैं. पहले स्लैब में 2.5 लाख रुपये तक की सालाना आय टैक्स फ्री है. 2.5 लाख से 5 लाख रुपये सालाना आय पर 5 फीसदी टैक्स लगता है. 5 लाख से 10 लाख तक की सालाना आय वालों पर 20 फीसदी टैक्स लगता है. 10 लाख रुपये सालाना से ज्यादा की वार्षिक आय पर 30 फीसदी टैक्स का प्रावधान है. इस समय 5 लाख रुपये सालाना वाले करदाताओं की संख्या 6.22 लाख है. इसलिए अगर 10% के इनकम टैक्स स्लैब को बढ़ाकर 6 लाख कर दिया जाता तो हर साल सरकार को इनकम टैक्स कलेक्शन में लगभग 640 करोड़ कम मिलेंगे. अगर 20% के स्लैब को बढ़ाकर 12 लाख रुपये किया जाता है तो हर साल सरकार को लगभग 520 करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है.
भारत सरकार 50 लाख रुपये से ज्यादा की सालाना आय पर 10% सरचार्ज वसूलती है. 1 करोड़ रुपये से ज्यादा की आय पर सरचार्ज बढ़कर 15% फीसदी हो जाता है. अगर सरकार इस बार के बजट में उच्च आय पर सरचार्ज हटा देती है तो सरकार को हर साल लगभग 3,500 करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान लगाया जा रहा है.
इसलिए देखना होगा कि वित्त मंत्री चुनावी वर्ष में जाने से पहले कितना जोखिम उठाते हैं, क्योंकि अपनी इन्हीं उपलब्धियों को लेकर उन्हें लोकसभा और विधानसभा चुनावों में उतरना होगा.